दीया बस यूंही जलता रहा

दर्द इतना है जरूरी जिंदगी के लिए नूर जितना है जरूरी निगाहों के लिए एक नन्हा सा दीया बस यूंही जलता रहा वही जुगनू था मुझे राह दिखाने के लिए उनके इस हुस्न को देखके ये उलझन थी कौन सा फूल चुनूँ उनकी बंदगी के लिए जब भी दीवाना हुआ पानी इस दरिया में चाँदनी आई थी कफन ओढ़ाने के लिए

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