महाभारत में आखिर कैसे हुई धृतराष्ट्र, गांधारी व कुंती की मृत्यु

महाभारत का युद्ध धर्म व अधर्म के बीच हुआ था जिसमे धर्म के पक्षधर पांडव थे जिन्होंने अधर्मी दुर्योधन से युद्ध कर उसे मृत्यु दंड दिया था. महाभारत के सभी पात्रों का कोई न कोई रहस्य रहा है जिनके विषय में बहुत ही कम लोग जानते है. महाभारत के सभी पात्र अपने व्यक्तित्व, परिस्थिति, पुनर्जन्म व किरदार आदि कारणों से प्रभावित थे. 

महाभारत के पात्रों से जुड़ी लगभग सभी कहानियों के विषय में शायद आप जानते होंगें लेकिन क्या आप यह जानते है की महाभारत के तीन मुख्य पात्र धृतराष्ट्र, गांधारी व कुंती की मृत्यु कैसे हुई थी. आज हम इसी रहस्य से पर्दा उठाने वाले है तो आइये जानते है किस प्रकार धृतराष्ट्र, गांधारी व कुंती की मृत्यु हुई थी?

महाभारत का युद्ध समाप्त होने के पश्चात् धृतराष्ट्र व गांधारी अपना जीवन पांडवों के साथ में बिताने लगे लेकिन कुछ समय के बाद धृतराष्ट्र, गांधारी व कुंती विदुर व संजय के साथ भगवान की भक्ति करने के उद्देश्य से वन चले गए तथा वहां एक आश्रम का निर्माण कर वहीँ निवास करने लगे एक दिन जब गंगा स्नान करने के बाद वह वापस अपने आश्रम लौट रहे थे तब उस वन में भीषण आग लग गई.

जिससे बचने के लिए धृतराष्ट्र, गांधारी व कुंती ने बहुत प्रयास किया लेकिन अपनी दुर्बलता के कारण वह उसमे असफल रहे तब उन्होंने उसी अग्नि में अपने प्राणों को त्यागने का संकल्प किया और अपने मन को एकाग्र कर एक स्थान पर समाधि में लीन हो गए जिसके कारण उस अग्नि में तीनों की मृत्यु हो गई. इसके पश्चात् पांडव स्वर्ग व भगवान कृष्ण अपने बैकुंठ धाम को चले गए तभी से कलयुग का आरम्भ हुआ.

 

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