तुम न बुलाओ मैं आ जाऊँगी, न भाड़ा न किराया दूँगी, घर के हर कमरे में रहूँगी, पकड़ न मुझको तुम पाओगे, मेरे बिन तुम न रह पाओगे, मुझमें भार सदा ही रहता, जगह घेरना मुझको आता, हर वस्तु से गहरा रिश्ता, हर जगह मैं पाया जाता, बिना हाथ पैर के, चल के, न तैर के, सबके घर चली जाउं, बिना किसी बैर के। लोहा खींचू ऐसी ताकत है, पर रबड़ मुझे हराता है, खोई सूई मैं पा लेता हूँ, मेरा खेल निराला है। 1 हवा, 2 गैस, 3 पत्र, 4 चुंबक