जानिए सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य

हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश और पुरुष प्रधान देश है। यह पुरुष प्रधान समाज सदियों से स्त्रियों को जीने नहीं देता। इसका एक कारण है कुछ लोगो की पुरानी सोच क्योकि पुरषो को लगता है की स्त्रियों को दबा कर रखने से पुरुष खुद को बलवान समझता है। आज भी लोगो की सोच है की स्त्रियों को घर में रह कर काम करना चाहिए। स्त्रियों को वह दर्जा मिल नहीं पाया जिसकी वो हक़दार थी। स्त्रियों का हक़ ना मिलने के कारण सरकार ने एक योजना लॉन्च की थी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।

इस योजना का शुभराम प्रधानमंत्री ने 22 जनवरी 2015 को पानीपत, हरियाणा में किया था। अब इसे देश भर के 100 जिलों और राज्यों में प्रभावी ढंग से लागु किया गया है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को सबसे पहले हरियाणा में इसलिए लॉन्च किया गया था क्योकि हरियाणा में ही सर्वाधिक लिंग अनुपात में अंतर है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ भारत के तीन सरकारी मंत्रालयों द्वारा की गई एक संयुक्त पहल है। इस योजना के तहत महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वस्थ परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय शामिल है।

जनसंख्या जनगणना के 2011 के जनसंख्या अनुपात से पता चला है की भारत में प्रति 1000 पुरुष पर 943 महिलाएं शामिल है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य बालिकाओ का विकास करने एवं कन्या भ्रूण हत्या को रोकने से था। बालिकाओ को उनका दर्जा मिल पाए और उन्हें शिक्षा प्राप्त हो पाए। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के दो प्राथमिक कारण है - महिलाओ के खिलाफ बढ़ते अपराध और निम्न बाल लिंग अनुपात है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मिशन का उद्देश्य तीन महत्पूर्ण प्रभाव को लाना है बालिकाओं तक शिक्षा पहुंचना, पुरुष व स्त्री अनुपात का संतुलन बनाए रखना एवं बाल विकास के फोकस को उजागर करना। अभियान ने विशेष रूप से महिलाओ के अधिकार की मांग की है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ से महिलाओ को वित्तीय रूप से मदद मिल सके इसके साथ उन्हें स्वतंत्रता दिलाना है।

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