दर्द की दास्तान

अब भी ताज़ा हैं ज़ख़्म सीने में ......, बिन तेरे क्या रखा हैं जीने में,,,,,,,, हम तो ज़िंदा हैं तेरा साथ पाने को........, वरना देर कितनी लगती है जहर पीने मे.....

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