तिरंगा फहराने को लेकर धरने पर बैठी दलित महिला सरपंच

भोपाल। देश में पहले से छिड़े दलित मुद्दे को एक महिला सरपंच ने और हवा दे दी है। मध्य प्रदेश के दामोह की एक दलित सरपंच 15 अगस्त को तिरंगा फहराने को लेकर धरने पर बैठ गई है। महिला सरपंच का कहना है कि राज्य के मंत्री जयंत मलैया और उनका बेटा लगातार उन्हें परेशान कर रहा है।

महिला का आरोप है कि बिना किसी ठोस सबूत औऱ इल्जाम के उसे सरपंची के पद से हटाने की कोशिश की जा रही है। मंत्री के इशारे पर जिलाधिकारी और पंचायत विभाग के अधिकारी उसे झूठे कानूनी केस में फंसाने की कोशिश कर रहे है। न्याय की मांग को लेकर सरपंच जिला कलेक्टर के बाहर धरने पर बैठ गई है।

आने-जाने वाले लोगों से महिला सरपंच बताती है कि राज्य व केंद्र की सरकार केवल महिला उत्थान की बात करती है, असलियत कुछ और ही है। बीते वर्ष भी उसने जब झंडा फहराने का ऐलान किया था, तो 13 अगस्त को उसे कलेक्टर के आदेश पर झंडा फहराने से रोक दिया गया था। पूना बाई ने कलेक्टर के आदेश को कमिश्नर के न्यायालय में चुनौती दी।

करीब साल भर चली सुनवाई के बाद 21 जुलाई 2016 को कमिश्नर ने कलेक्टर के आदेश को निरस्त कर दिया और पूना बाई को वापस सरपंच के पद काबिज करने के लिए निर्देश दिए। इस साल वो फिर से पंचायत भवन में झंडा फहराना चाहती है। पूना बाई बांदकपुर गांव की सरपंच है और इस गांव को सांसद प्रह्लाद सिंह पटेल ने गोद लिया हुआ है।

पूना बाई ने मामले की शिकायत सांसद से भी की है, लेकिन हर कोई जांच का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ ले रहा है।

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