सचिन से छीना जा सकता है भारत रत्न, कोर्ट ने दी स्वीकृति

जबलपुर: मध्य प्रदेश उच्च न्यायलय ने सचिन तेंदुलकर से भारत रत्न को वापिस लेने की याचिका को स्वीकृत कर लिया है. मुख्य न्यायाधीश एएम खानविल्कर और न्यायाधीश केके त्रिवेदी की हाइ कोर्ट की बेंच ने कल असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) जिनेंद्र कुमार जैन को ऐसे मामलों में दिशा निर्देश देने को कहा है. खंडपीठ ने इस सम्बन्ध में जानकारी मांगी है कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे किसी मामले में आदेश जारी किए हैं. इसके लिए एक सप्ताह की समयावधि निश्चित की गयी है. भोपाल निवासी समाजसेवी वीके नवाथे ने यह अपील दायर की थी.

वीके नवाथे ने अपनी अपील में कहा है कि सचिन तेंदुलकर ने भारत रत्न जैसे सम्मान का लाभ लेने का प्रयत्न किया है. इस सम्मान के माध्यम से सचिन ने विज्ञापन और तमाम अन्य चीजों से धनार्जन का प्रयास किया है , जो उचित नहीं है. नियमानुसार भारत रत्न के सम्मान से नवाजे जाने के बाद सचिन तेंदुलकर को राष्ट्र हित में कार्य करना चाहिये. सचिन को बाजारवाद की जगह देशवासियों को जागरूक करने सहित अन्य गतिविधियों पर अधिक ध्यान देना चाहिए था. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं करके बाजारवाद से अपना नाता जोड़े रखा और कई विज्ञापन में नजर आये. इसे भारत रत्न का अपमान समझा जाएगा.

नसवाह ने भी कहा है कि सचिन को ये सम्मान स्वयं वापिस कर देना चाहिए. यदि सचिन ऐसा नहीं करते है तो भारत सरकार को सचिन से पुरस्कार को छीन लेना चाहिए या तो सचिन तेंदुलकर को विज्ञापन जगत से अपना नाता तोड़ लेना चाहिए. क्रिकेट से संन्यास ले चुके सचिन लगभग 12 कंपनियों के विज्ञापन में दिखाई देते है.

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