काॅर्पोरेट के लिए किसान की उपेक्षा, फसल नुकसानी से अन्नदाता हो रहा परेशान

नई दिल्ली : आखिरकार अखिल भारतीय कांग्रेस में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के वापस लौटते ही जोश फैल गया। सांसद राहुल ने आते ही कांग्रेस की कमान संभाली दूसरी ओर उन्होंने जोश के साथ केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए किसानों के पक्ष में आवाज़ बुलंद की। हालांकि राहुल के अभिभाषण का केंद्र सरकार की सेहत पर कितना असर हुआ यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन राहुल की वापसी से राजनीति के मैदान में विपक्ष एक बार फिर जोर आजमाईश करता नज़र आ रहा है। मिली जानकारी के अनुसार बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से किसान प्रभावित हुए हैं। 
दूसरी ओर किसानों को उनकी फसल का उचित दाम भी बाज़ार में नहीं मिलता। हालात ये हैं कि देश की विभिन्न मंडियों में अनाज पड़ा - पड़ा सड़ जाता है मगर किसान की फसल खरीदने की ओर कोई ध्यान नहीं देता है। उन्होंने कहा कि देश का किसान जो प्रगति में एक बड़ी भागीदारी निभाता है उपेक्षित है। उद्योगपतियों के लाभ के लिए किसान से उसकी जमीन छिनने की योजना केंद्र सरकार बना रही है। यह सही नहीं है। 
हालात ये हैं कि बेमौसम बरसात से 14 राज्यासें में फसलों को 40 हजार करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है मगर सरकार की ओर से अलग - अलग बयान आ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक्सपर्ट गलत हैं और करीब 106 लाख हेक्टेयर का नुकसान किसानों को उठाना पड़ा है बावजूद इसके किसानों को कोई मुआवज़ा नहीं दिया गया। केंद्र सरकार पूर्ववर्ती यूपीए सरकार द्वारा सामने रखे गए भूमि अधिग्रहण बिल को बदलकर एक जटिल बिल पेश कर रही है। यह बिल किसान हितैषी नहीं है।

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