खाने के तेल से सम्बंधित ये गलतिया दिल की बीमारी की बढ़ा सकती है , इससे बचे

भोजन में इस्तेमाल किया जाने वाला तेल का हमारे स्वास्थय में गहरा असर पड़ता है क्योकि इसके इस्तेमाल से ही हम विटामिन इ का सेवन भोजन में कर पाते है इसके अलावा भी भोजन में सही तेल का इस्तेमाल करने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है इसलिए आज हम आपके साथ शेयर करने जा रहे है कुछ ख़ास टिप्स जिनकी सहायता से आप सही कुकिंग आयल का चुनाव कर सकते है , तो देर किस बात की है आइये जानते है इसके बारे में...........

जब आप अपने लिए कूकिंग ऑयल ख़रीदे तबध्यान से लेबल पढ़ें। अक्सर, कूकिंग ऑयल में सैचुरेटेड फैट होते हैं। ऐसा कूकिंग ऑयल खरीदें, जिसमें, सैचुरेटेड फैट की मात्रा 20 फीसदी तक होती है। तेल में मूफा फैट्स (MUFA) और पूफा फैट्स (PUFA) की मौजूदगी हेल्दी मानी जाती है क्योंकि, ये दोनों गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाने का काम करते हैं। मूफा और पूफा के उलट सैचुरेटेड फैट्स और ट्रांस-फैट्स बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर में वृद्धि कर देते हैं। जैसा कि बैड कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक की वजह बन सकता है। इसीलिए, ऐसा कूकिंग ऑयल खरीदें जिसमें, मोनो अनसैचुरेटेड फैट्स हों और इससे कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का खतरा भी कम होता है। वहीं, ऐसे तेल जिसमें, पॉलीसैचुरेटेड फैट्स (polysaturated fats) होते हैं उनके सेवन से बचना चाहिए।

इंडियन कूजिन के लिए कौन-सा तेल है बेस्ट:

भारतीय तरीके से कूकिंग करने के लिए ऐसे तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। जिनका, स्मोकिंग पॉइंट हाई हो। दरअसल, हाई स्मोक पॉइंट वाले तेल देर अधिक तेज़ आंच पर भी जलते नहीं और ना ही उनसे कोई बदबू आती है। सनफ्लॉवर ऑयल, सोयाबीन का तेल, कैनोला का तेल, और तिल का तेल हाई स्मोक पॉइंट ऑयल हैं। जबकि, ऑलिव ऑयल जैसे तेल कम या मीडियम स्मोक पॉइंट वाला तेल है।

अगर आप डीप फ्राइड या तरीवाली सब्ज़ी बनाना चाहते हैं। तो ऐसा तेल इस्तेमाल करें जिसका स्मोक पॉइंट हाई हो जैसे की सरसो का तेल। जबकि, भाप में पकाने और सलाद मे मिलाने के लिए लो-स्मोक पॉइंट वाला तेल इस्तेमाल करें जैसे की ओलिव आयल।

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