परिवहन आरक्षक भर्ती को लेकर कांग्रेस ने लगाया शिवराज पर आरोप

मध्य प्रदेश/भोपाल : मध्य प्रदेश की कांग्रेस इकाई ने एक बार फिर परिवहन आरक्षक (टांसपोर्ट कांस्टेबल) भर्ती में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के परिवार की संलिप्तता का आरोप लगाया है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता के. के. मिश्रा का आरोप है कि 198 स्वीकृत पदों के विपरीत 332 आरक्षकों की भर्ती कैसे हो गई, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। राजधानी भोपाल में शुक्रवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख प्रवक्ता मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस के दवाब में पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) को परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012 में हुई गड़बड़ियों पर प्राथमिकी दर्ज करना पड़ी। इस भर्ती परीक्षा को व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) ने आयोजित किया था।

भर्ती के लिए प्रकाशित विज्ञापन में 198 पदों का हवाला दिया गया था, मगर बिना किसी सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति लिए 332 परिवहन आरक्षकों का चयन कर लिया गया। सूचना का अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगने पर व्यापमं और परिवहन विभाग जानकारी नहीं दे रहा है। मिश्रा का आरोप है कि इस अतिरिक्त भर्ती में मुख्यमंत्री चौहान के परिवार की सीधी संलिप्तता है, यही कारण है इस गंभीर अनियमितता की जानकारी उजागर नहीं की जा रही है।

कांग्रेस का आरोप है कि 198 परिवहन आरक्षकों की सीधी भर्ती के एवज में 332 परिवहन आरक्षकों की अवैधानिक भर्ती संबंधी आदेश तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव और वर्तमान मुख्य सचिव एंटोनी डिसा जो तत्कालीन परिवहन विभाग के भी प्रभारी थे, के हस्ताक्षर से जारी हुए थे, मगर एसटीएफ ने अब तक उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज नहीं किया है। कांग्रेस के प्रवक्ता ने राज्य के छह निजी चिकित्सा महाविद्यालयों की सरकारी कोटे की सीटें मैनेजमेंट कोटे से भरे जाने में हुए करोड़ों के लेनदेन का आरोप लगाया है।

मिश्रा का कहना है कि इस मामले के उजागर होने पर चिकित्सा शिक्षा के तत्कालीन प्रमुख सचिव ने थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश दिए थे, मंगर मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्राथमिकी दर्ज कराने की बजाय कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए। कांग्रेस का आरोप है कि मंत्री मिश्रा ने करोड़ों की रिश्वत लेकर निजी चिकित्सा महाविद्यालयों को बचाने की कोशिश की है।

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