पनामा पेपर्स में केंद्र द्वारा की जाने वाली जांच पर कांग्रेस को भरोसा नहीं

नई दिल्ली : पाकिस्तान के बाद अब भारत भी पनामा पेपर्स में लीक हुए नामों की जांच करना चाहती है। इसकी मॉनीटरिंग के लिए सरकार ने एक ग्रुप भी बनाया है, लेकिन इस मामले में कांग्रेस का कहना है कि उन्हें केंद्र सरकार द्वारा की गई जांच पर भरोसा नहीं है।

कांग्रेस का कहना है कि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में होनी चाहिए। इस मामले में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक प्रेस कांफ्रेंस की और उस में छतीसगढ़ के सीएम रमन सिंह औऱ वित मंत्री अरुण जेटली के करीबी लोकेश शर्मा पर भी आरोप लगाए है।

इस पर बीजेपी सरकार का कहना है कि केंद्र इस मामले को लेकर बेहद गंभीर है। कांग्रेस बेबुनियाद आरोप लगा रही है। कांग्रेस द्वारा अधूरे छोड़े गए कई कामों को केंद्र ने आगे बढ़ाया है और काले धन को लेकर भी कानून बनाया है। रमेश का कहना है कि घोटाले में जेटली के करीबी लोग मौजूद है, ऐसे में वित मंत्रालय की जांच पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।

(दिल्‍ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन) की 2000 में हुई बैठक में जिस कंपनी को अरुण जेटली ने ठेके दिये थे उसी कंपनी ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में गैरकानूनी ढंग से कई कंपनियां खोली हैं। जेटली ने डीडीसीए मैदान में होने वाले सभी इंटरनेशनल मैचों के ठेके लोकेश शर्मा की कंपनी को दिए थे।

दूसरी ओर ब्रिटिश वर्जन कंपनी में एक औऱ कंपनी का खुलासा हुआ है। उस कंपनी के मालिक का नाम अभिषाक सिंह बताया जा रहा है, वो रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह का नाम है। कंपनी में पते की जगह पर सीएम के घर का ही पता लिखा हुआ है। रमन सिंह भी बीजेपी के नेता है, तो ऐसे में बीजेपी विश्वसनीय जांच कैसे करेगी।

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