बीजिंग : लगता है नेपाल की भारत से बढ़ रही नजदीकियों से चीन न केवल बौखला गया है, बल्कि अपने आपको ठगा हुआ भी महसूस कर रहा है. शायद चीनी मीडिया में इसीलिए भारत और नेपाल के खिलाफ आक्रोश प्रकट हो रहा है. प्रचंड की नई दिल्ली यात्रा से नाराज चीनी सरकारी मीडिया ने चीन के प्रतिकूल जाने को लेकर भारत की आलोचना की और नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को भारत के इशारे पर द्विपक्षीय संबंधों की अनदेखी करने का आरोप लगाया. सरकार संचालित ग्लोबल टाइम्स में छपे एक आलेख में चीन को ऐसा महसूस हो रहा कि उसके साथ नेपाल ने चालबाजी की है जिसने पहले तो भारत से दबाव घटाने के लिए चीन से अपनी नजदीकी बढ़ाई और नई दिल्ली पर अपनी निर्भरता से छुटकारा पाने के लिए बीजिंग के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए, लेकिन दबाव कम होने पर बाद में इसने नेपाल-चीन संबंधों को अस्थायी तौर पर टाल दिया. अख़बार के दो आलेखों में चीन समर्थक पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को हटा कर शासन में बदलाव किए जाने पर चीन के रोष का जिक्र करते हुए कहा गया है प्रचंड के अपने पिछले शासनकाल के दौरान 2008 में पहले पहल चीन की यात्रा का उनके द्वारा विकल्प चुनने को याद करते हुए कहा गया है प्रचंड अब गुस्से में नहीं हैं जैसा कि उन्होंने कभी बताया था, लेकिन राजनीतिक हित के लिए इसके कहीं अधिक यथार्थवादी निहितार्थ हैं. ऐसा लगता है कि नेपाल और चीन के बीच संबंध ठहर गया है और चीनी नेताओं की नेपाल यात्रा कथित तौर पर टाल दी गई है जो एक अभूतपूर्व स्थिति है. इस आलेख में यह भी कहा गया है कि ऐसा लगता है कि चीन और नेपाल के बीच द्विपक्षीय संबंध अचानक ही नाजुक और संवेदनशील हो गया है. इसमें कहा गया है, बेशक, चीन ठगा हुआ सा महसूस कर रहा है. इसने कहा है कि चीन-नेपाल संबंध में काठमांडू को ज्यादा फायदा होगा. चीन कुछ नहीं खोयेगा लेकिन नेपाल को इस पर विचार करने की जरूरत है कि कहीं यह अधिक अवसर तो नहीं गंवायेगा. इसी अखबार में दूसरे आलेख में भारत पर चीन के प्रतिकूल जाने का आरोप लगाया गया है. चीन ने चली आतंकवाद पर अपनी चाल