चीन ने की भारत की निष्पक्षता की सराहना

बीजिंग। अमेरिका और जापान द्वाा दक्षिण चीन सागर के मसले पर एकतरफा हो जाने का दबाव बनाने के बाद भी भारत निष्पक्ष बना हुआ है। भारत के इस तरह के कदम की चीन ने सराहना की है। चीन के सरकारी मीडिया में इन बातों की चर्चा रही कि भले ही भारत और पाकिस्तान के संबंधों में विवाद हों मगर फिर भी दोनों देशों के लिए भारत का कदम एक अच्छा कदम है। दोनों ही देशों के बीच दोतरफा संबंध विकसित होते रहे हैं।

दरअसल भारत ने वाॅशिंगटन और तोक्यों द्वारा दबाव दिए जाने के बाद भी निष्पक्षता से कार्य किया। दोनों ने ही अपने संबंधों को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की बात कही। उन्होंने कहा कि दोनों ही देशो के संबंधों को सुधारने के लिए आगे की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत थी। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का निष्पक्ष रहना इस तरह के परस्पर संबंधों में सकारात्मकता लाता है। इतना ही नहीं चीनी - मीडिया ने चीन विदेश मंत्री वांग यी की बीते सप्ताह भारत यात्रा और दक्षिण चीन सागर मसले को आपस में जोड़कर देखने के लिए भारतीय मीडिया की आलोचना भी की।

चीनी मीडिया द्वारा यह कहा गया कि भारतीय मीडिया ने वांग के भारत दौरे हेतु भारतीय मीडिया की आलोचना की। दरअसल भारत के मीडिया में वांग की आलोचना हुई। उनकी यात्रा को दक्षिण चीन सागर के मसले और दोनों ही देशों की एनएसजी में भागीदारी के ही साथ चीन द्वारा भारत को इस मामले में समर्थन न दिए जाने को लेकर देखा गया और उनकी आलोचना हुई। चीन के वे तमाम दावे भी भारतीय मीडिया में खारिज किए गए जिससे वह दक्षिण चीन सागर में अपनी मौजूदगी और रक्षा की दावेदारी कर अमेरिका के हस्तक्षेप को रोकता रहा है।

दरअसल दक्षिण चीन सागर के मसले पर दोनों ही देशों ने वांग के दौरे के तहत अपने विचार, रूख और नीतियों को स्पष्ट कर दिया। दरअसल चीनी मीडिया द्वारा कहा गया कि दोनों ही देशों को अपने एक दूसरे की निर्भरता और एक दूसरे के लाभों पर ध्यान देना होगा। यदि दोनों देश विवादों में नहीं पड़ेंगे तो फिर उनके बीच समर्थन जुटेगा और इससे वे कई ऐसे गंभीर विषयों पर एकमत होंगे और मिलकर संबल हासिल कर सकेंगे जिन पर विश्व एशिया को नकार देता है। मसलन कार्बन उत्सर्जन, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर एशिया का पक्ष कुछ कमजोर रह जाता है।

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