चीन में 2015 को भारत मना रहा भारत वर्ष - नरेंद्र मोदी

शिन्हुआ : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी तीन दिवसीय चीन यात्रा के दौरान शिन्हुआ पहुंचे। जहां उन्होंने शिन्हुआ विश्वविद्यालय में उपस्थित विद्यार्थियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने चीनी भाषा में विद्यार्थियों का अभिवादन किया। साथ ही उन्होंने अपने भाषण में संस्कृत श्लोक का भी उपयोग किया। उन्होंने कहा कि भारत चीन के साथ संबंध आगे बढ़ाने के साथ बर्मा, बांग्लादेश, चीन आदि देशों का पुल निर्मित कर रहे हैं जिसके माध्यम से विकास की बात की जाएगी।

उन्होंने कहा कि हमें अपनी सीमाओं को शांतिपूर्ण बनाए रखना है। यही नहीं रिश्ते में विश्वास की कमी जैसी बातों से बचना होगा। दूसरी ओर उन्होंने कहा कि नेपाल में हमने मिलकर काम किया है। दूसरे देशों से हमारे संबंध चिंता का विषय नहीं होना चाहिए। भारत और चीन मिलकर अच्छा काम कर सकते हैं। नेपाल में हमने मिलकर काम किया है।

उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण मामले को विकास के रोड़े नहीं आने दिया जाएगा। अगले 5 वर्ष तक चीन मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट में भागीदार होगा। सुरक्षा परिषद में चीन भारत के लिए अच्छी भागीदारी में होगा। चीन की मदद से हम रिश्तों को आगे बढ़ाऐंगे यही नहीं सैन्य सहभागिता में दोनों देश एक दूसरे के साथ होंगे। चीन में भारत वर्ष 20015 को भारत वर्ष मनाएगा। यही नहीं भारत चीन में योग काॅलेज बनाकर दो महान सभ्यताओं को साथ जोड़ेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा दे रहा है। तीन दिवसीय चीन यात्रा के दूसरे दिन यहां शिन्हुआ युनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, "अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे से संबंधित निवेश में हम बढ़ोतरी कर रहे हैं।"

अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत तथा चीन आपस में प्राचीन सभ्यताओं से जुड़े हैं। इस दौरान मोदी ने सातवीं सदी में भारत की यात्रा करने वाले चीनी यात्री ह्वेनसांग की भी चर्चा की। उनके बीच सिल्क तथा कपास व्यापार के बारे में भी बातचीत हुई। उन्होंने वित्तीय क्षेत्र में सरकार की पहल के बारे में भी चर्चा की। 

उन्होंने कहा, "हमने वित्तीय समावेशन पर प्रमुख योजनाओं की शुरुआत की है।" चीन के आर्थिक विकास की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, "बीते तीन दशकों के दौरान चीन की सफलता ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के स्वरूप को बदलकर रख दिया है। वैश्विक अर्थव्यवस्था क्रांति में भारत दूसरे पायदान पर है।"

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