सिंहस्थ को अनिष्ट से बचाने के लिए किया गया मिर्ची यज्ञ

उज्जैन : सिंहस्थ 2016 का आयोजन प्रारंभ तो हो गया। विभिन्न घाटों पर साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने प्रथम शाही स्नान (22 अप्रैल) भी कर लिया लेकिन इस महापर्व के आयोजन को लेकर प्रारंभ से ही यह कहा जा रहा है कि इस बार सिंहस्थ कुछ ऐसे संयोगों के बीच आयोजित किया जा रहा है जिसके तहत यह कुछ अनिष्टकारी संभावनाऐं जन्म ले रही थीं। उल्लेखनीय इसके तहत पंचग्रही योग निर्मित हुए थे। पंचग्रही योग बनने से सिंहस्थ में खलल की संभावनाऐं भी थीं।

ऐसे में लोकप्रिय संतों, महंतों और साधुओं ने सिंहस्थ 2016 के लिए प्रारंभ में ही पूजन किया। शिप्रा नदी का अभिषेक किया गया और पूजन कर मां शिप्रा से व देवी - देवताओं से आयोजन को सफल करने की प्रार्थना की गई। दूसरी ओर तंत्र - मंत्र के ज्ञाताओं ने सिंहस्थ महावर्प को अनिष्ट और बुरी नज़र से बचाने के लिए मिर्ची यज्ञ किया। तांत्रिकों द्वारा इस यज्ञ के लिए पहले श्री विक्रांत भैरव के समीप स्थित श्मशान का चयन किया गया था मगर बाद में चक्रतीर्थी पर इस यज्ञ का आयोजन हुआ।

यज्ञ के लिए पहले उड़द के आटे का एक पुतला तैयार किया गया। इसके बाद नमक और मित्र की आहूतियों से चिता के पास यज्ञ किया गया। तांत्रिक मंत्र बुदबुदाते और फिर अपनी आहूतियां चिता और बनाई गई यज्ञ वेदी में डालते। इस यज्ञ को देखने के लिए बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं का मजमा चक्रतीर्थ पर लगा रहा। 

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