माँ के दूध पर निर्भर करता है बच्चो का घुस्सा

वॉशिंगटन: माँ का दूध बच्चो के लिए अमृत माना जाता रहा है पर वैज्ञानिको ने बच्चों की सामाजिक व्यव्हार और माँ के दूध के बीच सम्बन्ध स्थापित कर दिया है. यह शोध यूएस नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ चाइल्‍ड हेल्‍थ एंड ह्यूमन डेवलपमेंट के द्वारा किया गया. 

अमेरिकी संस्‍थान ने माँ के दूध में पाए जाने वाले कार्टिसोल नामक हार्मोन के प्रभावों का परीक्षण बंदरो पर किया. वैज्ञानिकों ने परीक्षण में पाया कि अधिक कार्टिसोल के स्‍तर वाले दूध को पीने वाले बच्‍चे छह महीने की उम्र में कम गुस्‍सैल और शांत थे. अधिक कार्टिसोल के स्‍तर वाले दूध को पीने से बच्चे खेल कूद की गतिविधियों में काम रूचि दिखाते है जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास रुक सा जाता है. अतः इस हार्मोन की भूमिका बच्‍चे के न्‍यूरोलॉजिकल और बिहेविरल डेवलपमेंट में होती है. 

कोर्टिसोल हार्मोन किडनी के उपर पाए जाने वाले एड्रेनल ग्लैंड से पैदा होते है. यह तनाव का शुरूआती हार्मोन है. कोर्टिसोल हार्मोन शरीर में शकर की मात्र, भूक और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करता है. इसलिए भी घर के बड़ो द्वारा स्‍तनपान कराती महिलाओ का विषेश ध्यान रखने को कहा जाता है. माँ के तनाओ में होने से दूध में कोर्टिसोल हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है और बच्चे के विकास को रोक देती है. 

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