अनावश्यक जनहित याचिकाएं ख़राब कर रही न्यायालय का समय- मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई

नई दिल्ली: देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) जस्टिस रंजन गोगोई ने गुरुवार को युवा वकीलों की जज बनने के प्रति अनिच्छा पर चिंता जताते हुए कहा कि इसका कारण यह है कि उच्च न्यायपालिका अपनी आभा और गरिमा खोती जा रही है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में काम के बंटवारे को लेकर इस साल 12 जनवरी को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस वार्ता करने वाले चार न्यायाधीशों में जस्टिस कुरियन जोसेफ भी सम्मिलित थे.

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जस्टिस जे. चेलमेश्वर जून में सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि जस्टिस मदन बी. लोकुर दिसंबर में और प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई अगले साल नवंबर में रिटायर होंगे. अपने संबोधन में जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा है कि अनावश्यक जनहित याचिकाएं न्यायालय का समय खराब कर रही हैं. 

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उन्होंने कहा कि 'कानून बनाने वाले लोगों को भी संवैधानिक नैतिकता की जानकारी होती है. इसलिए यह मान लिया जाना चाहिए कि उन्होंने संवैधानिक नैतिकता को ध्यान में रखकर और जनहित में ही कानून बनाया होगा. वे लोगों की नब्ज के बारे में अदालतों में नियुक्त जजों से अधिक जानते हैं.' इस मौके पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह ने जस्टिस कुरियन जोसेफ को शानदार जज बताकर उनकी प्रशंसा की है. 

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