कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को देश के कई हिस्सों में छठ पर्व मनाया जाता है। आप सभी को बता दें कि छठ पर्व चार दिवसीय पर्व होता है और इस पर्व की शुरूआत 8 नवंबर, सोमवार के दिन से हुई थी। ऐसे में आज यानी 10 नवंबर के दिन शाम के समय डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा। इसी के साथ आने वाले 11 नवंबर की सुबह उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही छठ का समापन होगा। आप सभी को बता दें कि आज देश के कई हिस्से जैसे उत्तरी भारत, बिहार, झारखंड आदि जगहों पर छठ का पर्व मनाया जा रहा है। आप सभी को बता दें कि सूर्य देव और छठ मैय्या की पूजा आज के दिन की जाती है और साथ ही अर्घ्य दिया जाता है। ऐसे ही आज छठ मैया की आरती भी की जाती है। तो हम आपको बताने जा रहे हैं छठ मैय्या आरती जिसे करने से माँ जल्द प्रसन्न होती है। छठ मैय्या आरती (Chatth Puja Aarti) जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए। मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।। जय।। ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदिति होई ना सहाय। ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।। जय।। मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए। ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।। जय।। अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडरराए। मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय।। ऊ जे सुहनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय। शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।। जय।। मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए। ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय।। ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए। मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय।। ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय। सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।।जय।। मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए। ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय।।