नवरात्र का पहला दिन: जरूर सुने मां शैलपुत्री की कथा, पढ़े यह आरती और मंत्र

आप सभी जानते ही होंगे, हर साल नवरात्रि वर्ष में चार बार होती है, जिनमे माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन शामिल है। ऐसे में नवरात्रि के प्रथम दिन देवी के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना का विधान है। कहा जाता है इनकी पूजा से देवी की कृपा तो मिलती ही है, साथ ही सूर्य भी मजबूत होता है। वैसे इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल यानी आज से हो रही है। तो आइए जानते हैं मां शैलपुत्री की कथा, उनकी आरती और उनके मंत्र।

मां शैलपुत्री की कथा- एक बार प्रजापति दक्ष (सती के पिता) ने यज्ञ के दौरान सभी देवताओं को आमंत्रित किया। उन्होंने भगवान शिव और सती को निमंत्रण नहीं भेजा। लेकिन सती बिना निमंत्रण भी यज्ञ में जाने को तैयार थी। ऐसे में भगवान शिव ने उन्हें समझाया कि बिना निमंत्रण यज्ञ में जाना ठीक नहीं। लेकिन सती नहीं मानी तो भगवान शिव ने उन्हें जाने की इजाजत दे दी। सती पिता के यहां बिना निमंत्रण पहुंच गई और उन्हें वहां बिना बुलाए मेहमान वाला व्यवहार ही झेलना पड़ा। उनकी माता के अलावा सती से किसी ने भी सही से बात नहीं की। बहनें भी यज्ञ में उपहास उड़ाती रहीं। इस तरह का कठोर व्यवहार और अपने पति का अपमान वे बर्दाश नहीं कर सकीं और क्रोधित हो गईं। इसी क्षोभ, ग्लानि और क्रोध में आकर उन्होंने खुद को यज्ञ में भस्म कर दिया। जैसे ही ये समाचार भगवान शिव को मिला उन्होंने अपने गणों को दक्ष के पास भेजा और उनके यहां चल रहा यज्ञ विध्वंस करा दिया। फिर अगले जन्म में उन्होंने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया, जिन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। और नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री मां की पूजा की जाती है। 

मां शैलपुत्री की आरती- शैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार। शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।।

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे। ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।।

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी। उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।।

घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के। श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।। मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

मां शैलपुत्री के मंत्र- ओम देवी शैलपुत्र्यै नमः

देवी शैलपुत्री बीज मंत्र ह्रीं शिवायै नम:

देवी शैलपुत्री का प्रार्थना मंत्र वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

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