नवरात्र के 9 दिन जरूर करें इस पौराणिक कथा का श्रवण

आप जानते ही हैं की 25 मार्च से नवरात्र आरम्भ होने वाले हैं. ऐसे में नवरात्र का पर्व 9 दिन का होता है और इन 9 दिनों में माँ का पूजन होता है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं नवरात्र की पूजा विधि और वह कथा जो आप सभी को नवरात्र में सुननी चाहिए. आइए जानते हैं.

नवरात्र की पूजा विधि - सबसे पहले कलश स्‍थापना करनी चाहिए और ध्‍यान रखें कि कलश हमेशा मूर्ति की दाई तरफ ही रखें. अब इसके बाद जहां पर कलश की स्‍थापना करनी है उस स्थान पर मिट्टी या बालू का ढेर बनाकर लगाएं. उसके  बाद उसपर ही कलश को स्‍थापित करें. इस बात का भी ध्‍यान रखें कि मिट्टी या बालू का ढेर कलश से थोड़ा ज्‍यादा हो. हमारा मतलब है कि कलश को रखने के बाद भी उसके आस-पास कुछ स्‍थान बाकी रहे. ध्यान रहे कलश के ऊपर स्‍वास्तिक जरूर बनाएं.और इसके अलावा कलश के ऊपरी हिस्‍से पर मौली बांधकर उसमें गंगाजल की कुछ बूंदें डालें. इसके बाद उसमें शुद्ध जल भरें. अब इसके बाद जल से भरे कलश में इच्‍छानुसार एक या दो रुपए का सिक्‍का डालकर उसमें आम का पल्‍लव लगा दें.

अब उसके ऊपर एक कटोरी रखें. यह मिट्टी, पीतल या फिर स्‍टील किसी भी धातु की हो सकती है. अब उसमें अक्षत रखें और उसके ऊपर चुनरी लपेटा हुआ कच्‍चा नारियल रख दें. इस बात का ध्‍यान रखें कि मातारानी को लाल रंग अतिप्रिय है तो चुनरी भी लाल रंग की ही लपेटें, जिस मिट्टी या बालू के ऊपर कलश स्‍थापित किया है उसमें देवी मां को नमन करते हुए जौ बो दें. अब इसके बाद माथे पर रोली का तिलक लगाकर पूजा शुरू करें. ध्‍यान रखें कभी बिना तिलक लगाए पूजा न करें. आप सभी को बता दें कि पूजा कोई भी हो लेकिन शुरुआत प्रथम पूज्‍य श्री गणेशजी महाराज की उपासना से ही करनी चाहिए. इस कारण आप नवरात्र में भी सबसे पहले गणपति बप्‍पा को नमन करें. इसके बाद बीच मंत्र ‘ऊं एम् हृीं क्लिं चामुण्‍डायै विच्‍चे.’ का उच्‍चारण करें और पूजा प्रारंभ करें. अब इसके बाद सबसे पहले दुर्गा कवच का पाठ करें और इसके बाद अर्गला, कीलक और रात्रि सूक्‍तक का पाठ करें. अब जब इन सभी का पाठ कर लें तो दुर्गा सप्‍तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करके मां भवानी की आरती करें. इसके बाद अंत में क्षमा प्रार्थना जरूर कर लें. अब 9 दिनों तक पूजन का यही क्रम रखें.

नवरात्र की कथा - पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवगुरु बृहस्‍पति ने ब्रह्मा से पूजा कि कि हे ब्रह्मा जी आप तो अत्‍यंत बुद्धिमान हैं. चारों वेद को जानने वाले सर्वश्रेष्‍ठ ज्ञाता हैं और शास्‍त्रों को भी भला आपसे बढ़कर कौन जानता है? हे ब्रह्मदेव चैत्र, आश्‍व‍िन और आषाढ़ मास के शुक्‍लपक्ष में पड़ने वाले नवरात्र का व्रत क्‍यों किया जाता है? इस व्रत को करने का क्‍या विधान है? इसके करने का क्‍या फल है और सर्वप्रथम यह व्रत किसने किया? यह सुनकर ब्रह्मा जी ने कहा कि हे बृहस्‍पति तुमने यह अत्‍यंत ही उत्‍तम प्रश्‍न किया है. इससे समस्‍त प्राणियों का कल्‍याण होगा. ब्रह्मदेव ने कहा कि जो भी व्‍यक्ति सभी मनोरथों को पूर्ण करने वाली देवी भवानी का स्‍मरण या ध्‍यान करता है वह अत्‍यंत ही भाग्‍यशाली है. 9 दिनों का यह देवी दुर्गा का व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है. इसके अलावा मनुष्‍य की सभी प्रकार की व्‍याधियां और परेशानियां भी दूर हो जाती हैं.

ब्रह्मदेव कहते हैं कि सभी पापों को दूर करने वाले इस व्रत के करने से ऐसा कौन सा मनोबल है जो सिद्ध नहीं हो. ब्रह्मदेव कहते हैं कि हे बृहस्‍पति सबसे पहले जिसने इस व्रत को किया अब उसके बारे में सुनों. ब्रह्मा जी कहते हैं कि पुराने समय में पीठत नाम के मनोहर नगर में एक ब्राह्मण था. वह देवी भवानी का अनन्‍य भक्‍त था. उसकी पुत्री थी सुमति. जो कि पिता के साथ हर दिन की पूजा में उपस्थित रहती थी. लेकिन एक दिन वह बच्‍चों के साथ खेलने में ही व्‍यस्‍त रह गई और उधर ब्राह्मण की पूजा संपन्‍न हो गई. सुमति के पूजा में न पहुंचने पर वह अत्‍यंत क्रोधित हुए. उन्‍होंने कहा क‍ि सुमति मातारानी की पूजा में उपस्थित न होकर जो तुमने अपराध किया है. इसके लिए कोई क्षमा नहीं है. उन्‍होंने कहा कि अब उसका व‍िवाह किसी कुष्‍ठी और दरिद्र मनुष्‍य के साथ ही करेंगे.

पिता के मुख से ऐसी बातें सुनकर सुमति को अत्‍यंत कष्‍ट हुआ. उसने अपने पिता से कहा कि जैसा भी आप उच‍ित समझें. क्‍योंकि जो भी मेरे प्रारब्‍ध में है आखिर उसे कौन मिटा सकता है? लेकिन मुझे भाग्‍य पर भरोसा है कि वह मेरे साथ इतना बड़ा अन्‍याय नहीं करेगा. वह कहती है पिताजी जो जैसे कर्म करता है उसे वैसा ही फल मिलता है. यह सुनकर ब्राह्मण देवता अत्‍यंत क्रोधित हो गए. उन्‍होंने कहा कि ठीक है अब अपने पति के साथ अपना भाग्‍य देखो. पिता के कहे गए कटु वचनों से सुमति काफी आहत थी. लेकिन उसे देवी भगवती पर अथाह विश्‍वास था. सुमति अपने पति के साथ खराब परिस्थिति में जीवन बसर करती रही. एक दिन अपने पति के साथ वह वन में चली गई. लेकिन वहां रात रुकने का कोई ठौर-ठिकाना ना था. एक पेड़ के नीचे दोनों ने किसी तरह रात बिताई.

सुमति की यह हालत देखकर देवी भवानी को दया आ गई. वह प्रकट हुईं और सुमति से बोलीं कि मैं तुमपर प्रसन्‍न हूं बेटी. जो कुछ भी तुम्‍हारे हृदय में है वह कहो. जो चाहो वरदान मांग लो. सुमति ने प्रणाम करते हुए पूछा देवी आप कौन हैं? मुझपर क्‍यों प्रसन्‍न हैं? कृपा करे कहें . देवी भगवती ने कहा मैं आदिशक्ति हूं. मैं ही ब्रह्मविद्या और सरस्‍वती हूं. मैं प्रसन्‍न होने पर सभी प्राणियों का दु:ख दूर कर देती हूं. देवी मां ने कहा मैं तुम्‍हारे पूर्व जन्‍म के प्रभावों से अत्‍यंत प्रसन्‍न हूं. मां ने कहा पूर्व जन्‍म में वह भील की पत्‍नी थी और अत्‍यंत ही पतिव्रता नारी थी. लेकिन एक दिन उसके पति ने कहीं चोरी की. इसकी वजह से उसे और उसके पति को जेल में डाल दिया गया. यही नहीं खाने के लिए भोजन और पीने के लिए पानी भी नहीं दिया. इस तरह 9 दिनों तक तुम निराहार ही रही और उस समय नवरात्र चल रहा था. तो इस तरह तुम्‍हारा नौ दिनों का व्रत भी हो गया. तुम्‍हारे उसी व्रत के प्रभाव से मैं प्रसन्‍न हूं और वरदान देना चाहती हूं. अब तुम्‍हारी जो भी मनोकामना हो वह कहो. देवी मां के प्‍यार भरे वचनों को सुनकर ब्राह्मणी ने मां को प्रणाम किया.

बोली हे देवी यदि आप मुझ पर प्रसन्‍न हैं तो मेरे पति का कुष्‍ठ रोग ठीक कर दें. ब्राह्मणी के वचनों को सुनकर देवी मां ने उसके पति का कुष्‍ठ रोग ठीक कर दिया. साथ ही उसे कांतियुक्‍त शरीर का भी आशीर्वाद दिया. पल भर में ही ब्राह्मणी का पति चंद्रमा सा चमकता हुआ उसके सामने खड़ा था. सजल नेत्रों से अपने पति को देखते ही वह देवी मां के चरणों में गिर पड़ी और स्‍तुति करने लगी. उसकी स्‍तुति से प्रसन्‍न होकर मां भगवती ने उसे सर्वगुण संपन्‍न पुत्र का आशीर्वाद दिया. इसके साथ ही पुन: वर मांगने को कहा. इसपर ब्राह्मणी ने कहा कि मां यदि आप मुझपर प्रसन्‍न हैं तो मुझे नवरात्र पूजन विधि बताएं ताकि मैं विधिवत् पूजन कर सकूं मां. तब भवानी ने ब्राह्मणी को नवरात्रि पूजन की विधि बताई. देवी मां ने नवरात्रि पूजन के साथ ही यह भी बताया कि इन नौ दिनों में किए गए दान से सौ करोड़ गुना फल मिलता है. यही नहीं व्रत करने से अश्‍वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है.

लेकिन ध्‍यान रखें कि पूजन के दौरान मन को पवित्र रखें. किसी का भी न तो बुरा सोचें और न ही करें. तभी व्रत का फल मिलता है. अन्‍यथा सभी पुण्‍यों का नाश हो जाता है. ब्रह्मा जी ने कहा हे बृहस्‍पति देव ब्राह्मणी को नवरात्र की पूजन विधि और फल बताकर देवी अंर्तध्‍यान हो गईं. जो भी मनुष्‍य इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करता है. वह इस लोक में तो सभी सुखों का भोग करता ही है. साथ ही अंत में मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. ब्रह्मा जी ने कहा कि हे बृहस्‍पति 9 दिनों तक चलने वाले देवी भगवती के इस व्रत का माहात्‍मय जानकर तुम धन्‍य हुए. अमृत के समान फल देने वाला यह व्रत अत्‍यंत ही फलदायी है. यह सभी प्राण‍ियों की रक्षा करने वाला व्रत है. वह कहते हैं कि यह भगवती शक्ति संपूर्ण लोकों का पालन करने वाली हैं. इनके प्रभाव को कौन जान सका है. साथ ही इनकी पूजन का सामर्थ्‍य भी किसमें है. लेकिन श्रद्धापूर्वक जो भी देवी के इन 9 दिनों तक आराधना करेगा वह संपूर्ण सुखों का भागी होगा.

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