क्लीनिक रिसर्च से संवारे अपना भविष्य

देश में क्लिनिकल रिसर्च के क्षेत्र में लगातार बढ़त हो रही हैं.कई विदेशी कम्पनियो की दवाई परीक्षण के लिए पसंद भारत ही रहा हैं. 2013 तक परिक्षण के लिए देश की क्षमता 3300 करोड़ रूपए थी जोकि 2016 तक 6600 तक होने की सम्भावना हैं.इंडस्ट्री के बढ़ते विकास से रोजगार के अवसरों में भी इजाफा होगा.देश में 5 वर्षो में करीबन 50 हज़ार नौकरियां जारी होंगी.जो की एक बेहतर करियर ऑप्शन बन सकता हैं.

फील्ड में स्कोप के कारण :-

- पूरी दुनिया में करीबन 2500 अरब रु.हर साल नई दवाओ पर खर्च किये जाते हैं.जिसकी ट्रायल लागत भारत में अमेरिका और यूरोपीय देशो की तुलना में 10 से 20 गुना ज़्यादा हैं.

-भारत देश की फार्मा इंडस्ट्री एशिया की दूसरी बड़ी इंडस्ट्री हैं जिसमे सालाना 9 फीसदी तक की वृद्धि हो रही हैं.

एडमिशन :-

क्लिनिकल रिसर्च से सम्बंधित क्षेत्र में लाइफ साइंसेस, फार्मेसी, नर्सिंग या मेडिसिन में बैचलर डिग्री ले चुके उम्मीदवार पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए आवेदन कर सकते हैं.

संस्थान :- दिल्ली यूनिवर्सिटी, इंस्टीट्यूट ऑफ क्लीनिकल रिसर्च तथा अन्य प्राइवेट संस्थानों से यह कोर्स किया जा सकता हैं.कई संस्थानों में एडमिशन के लिए एंट्रेंस टेस्ट का प्रावधान होता हैं.जिससे एडमिशन के लिए कॉम्पिटिशन बढ़ जाता हैं. दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलायड साइंसेस जैसे संस्थानों में हर सीट के लिए औसतन 50 आवेदक होते हैं.

अवसर:- लाइफ साइंसेस, मेडिसिन के अलावा आईटी और स्टैटिस्टिक्स के छात्रों के लिए भी यह कोर्से आसान होता हैं.उम्मीदवार फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री, हॉस्पिटल, मेडिकल राइटिंग, बायो-स्टैटिस्टिक्स, ड्रग डेवलपमेंट में अच्छे अवसर उपलब्ध हैं.उम्मीदवार क्लीनिकल रिसर्च संस्थानों में बिजनेस डेवलपमेंट, प्रोजेक्ट, रेग्युलेटरी अफेयर्स, आॅडिटिंग आदि से संबंधित काम भी कर सकते हैं. नौकरी के अवसर ज़्यादातर लाइफ साइंसेस और मेडिसिन के अलावा इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी तथा स्टैटिस्टिक्स के क्षेत्र में भी उपलब्ध हैं.

सैलरी:- इस क्षेत्र में शुरूआती पैकेज 2 से 3 लाख होता हैं.जिसमे आगे चल कर और भी अवसर मौजूद हैं.

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