कामागाटा मारु के लिए 100 साल बाद माफी मांगेंगे कनाडाई पीएम

ओटावा : जापान पर परमाणु बम गिराए जाने के 70 साल बाद अमेरिकी नेता वहीं श्रद्धांजलि देने पहुंचे। इसी तरह का एक सार्थक कदम कनाडा के पीएम भी उठाने वाले है। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो उस गलती के लिए माफी मांगेंगे जो 100 साल पहले हुई थी।

कामागाटा मारु घटना, जब भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। भारत में उस दौर में शासन कर रहे ब्रिटिश शासक के दबाव में आकर कनाडा ने अपने जल सीमा में कामागाटा मारु जहाज को प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन उस गलती का एहसास करते हुए ट्रूडो अब इसकेो लिए माफी मांगेंगे।

इसके लिए वो कनाडाई संसद में 18 मई को एक प्रस्ताव जारी करेंगे। कनाडा की राजधानी ओटावा में बैशाखी पर्व के दौरान जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि कामागाटा मारू घटना की 102 वीं वर्षगांठ पर उन्होंने कहा कि कनाडा के निर्माण में प्रवासी लोगों खास तौर से सिख समुदाय का सराहनीय योगदान रहा है।

ट्रूडो ने कहा कि हम सालों से उस भावना को नहीं समझ पाए हैष लेकिन देर से ही सही अब समझ में आया है। ट्रूडो द्वारा माफी की घोषणा के बाद वहां मौजूद लवोगों ने जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल कहकर उन्हें धन्यवाद दिया। 1914 में कामागाटा मारु जहाज पर 326 यात्री सवार थे, जिसमें अधिकतर सिख थे।

जहाज हॉंकांग से वैंकूवर जा रही थी। लेकिन कनाडा की जलसीमा में यात्रियों को उतरने की इजाजत नहीं मिली और जहाज को ब्रिटिश इंडिया की ओर आना पड़ा।

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