कनाडा: अदालत ने लिया सिक्खों के खिलाफ फैसला

टोरंटो: कनाडा की अदालत ने सिक्ख धर्म के अनुयायियों के लिए अनिवार्य, कृपाण को अदालती सदन में ना ले जा सकने के क्यूबेक नेशनल असेंबली के प्रस्ताव को यथावत रखा है. क्यूबेक कोर्ट ऑफ अपील के जस्टिस पैट्रिक हेले ने सोमवार को सुनाए गए अपने फैसले में निचली अदालत के प्रस्ताव को बरक़रार रखते हुए, इसके खिलाफ दी गई दलील ठुकरा दी.

इससे पहले कनाडा के व‌र्ल्ड सिक्ख संगठन के दो सदस्य बलप्रीत सिंह और हरमिंदन कौर ने फरवरी 2011 में नेशनल असेंबली द्वारा पारित प्रस्ताव को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी. "उनकी दलील थी कि, कृपाण सिक्ख धर्म के लिए अनिवार्य है, यह किसी तरह का हथियार नहीं बल्कि कमज़ोरों की मदद के लिए रखी जाती है. इसलिए हमे यह रखने की इजाजत दी जाए." इसके अलावा सिक्ख सदस्यों ने अदालत में धर्म के पांच ककार की भी दलील दी.

आपको बता दें कि, सिक्ख धर्म में पांच ककार मतलब केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा रखना अनिवार्य है. लेकिन कनाडा की शीर्ष अदालत ने इस दलील को ठुकराते हुए कहा कि, सुरक्षाकर्मियों के पास किसी भी ऐसे व्यक्ति को सदन में प्रवेश करने से रोकने का अधिकार है जो अपना धार्मिक चिह्न नहीं हटाना चाहता.अदालत ने कहा कि,  सदन को संसदीय सुविधाओं के मुताबिक अपने नियम बनाने का अधिकार है.

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