मोदी सरकार से व्यापारी हुए नाराज

मोदी सरकार को मल्टी ब्रैंड रिटेल में 51 फीसदी FDI का नोटिफिकेशन जारी रखने से व्यापारियों की नाराजगी झेलनी पड़ेगी. इस नोटिफिकेशन से व्यापारी नाराज हैं. वे इसे सरकार की वादा खिलाफी बता रहे हैं. सरकार के इस कदम के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन की रणनीति बनाने के लिए 8 जून को नागपुर में देश के व्यापारी नेताओं की विशेष बैठक बुलाई गई है. व्यापारियों के शिखर संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि यूपीए सरकार के दौरान इस मुद्दे पर बीजेपी ने इसका जबरदस्त विरोध किया था.

और हमें उम्मीद थी कि मोदी सरकार इस नोटिफिकेशन को वापस लेगी, लेकिन इसके बजाय सरकार ने इस नोटिफिकेशन को एक नीति के रूप में जारी रखने का फैसला किया है, जो बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है. हम इस मुद्दे पर अपने सवालों का जवाब मांगेंगे. अगर सरकार को ऐसा करना ही था तो व्यापारियों को अंधेरे में क्यों रखा. व्यापारियों का कहना है कि जब राजनाथ सिंह बीजेपी के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने स्पष्ट घोषणा की थी की अगर बीजेपी सत्ता में आई तो इस नोटिफिकेशन को वापस लिया जाएगा.

यहां तक कि वर्ष 2013 में इस मुद्दे पर संसद में हुई बहस में लोकसभा में विपक्ष की तत्कालीन नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के तत्कालीन नेता अरुण जेटली ने इस नोटिफिकेशन का विरोध किया था. बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी, वेकैया नायडू, नितिन गडकरी सहित कई नेताओं ने संसद और संसद के बाहर व्यापारियों को समर्थन देते हुए इस नोटिफिकेशन को वापस लेने की मांग की थी. जनता दल यू के नेता शरद यादव, लेफ्ट नेता प्रकाश करात, सीताराम येचुरी, ए बी बर्धन, ममता बनर्जी, मुलायम सिंह यादव, नवीन पटनायक सहित अनेक वरिष्ठ नेताओं ने व्यापारियों को इस मुद्दे पर अपना समर्थन दिया था.

इस नोटिफिकेशन का जारी रखना सरकार की मजबूरी है. सरकार अब पड़ोसी और अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार की बात कर रही है. इसका साफ मतलब है कि उसको भी अपने मार्केट खोलने होंगे. मल्टी ब्रैंडेड रिटेल सेक्टर को खोलने के लिए इस वक्त मोदी सरकार को अमेरिका, चीन समेत यूरोपीय देशों का बड़ा दबाव है. एसोचैम के डायरेक्टर जनरल डी एस रावत का कहना है कि उदारवादी अर्थव्यवस्था में इस तरह के फैसलों को ज्यादा समय तक टाला नहीं जा सकता.

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