जानबूझ कर हो गई दुर्घटना, पायलट ने उड़ान से पहले ही किया था सचेत

नई दिल्ली : इसे कहते है खुद मौत को न्योता देना। मंगलवार को सीमा सुरक्षा बल का चार्टर्ड प्लेन क्रैश हो गया। इसके बाद आई खबरों के अनुसार, सुबह जब पायलट ने इंजन को ऑन किया तभी उसने तकनीकी खामी की बात कही। लेकिन बीएसएफ के ग्राउंड क्रू ने उसे फ्लाइट ले जाने को कहा। सूत्रों का कहना है कि इस विमान को 6 महीने से ज्यादा समय हो गया था।

इसे रुटीन सर्विसिंग के लिए भेजा जाना था, जिसमें मात्र 30 घंटे ही बाकी थे। प्लेन में सवार कैप्टन भगवती प्रसाद भट्ट ने अंतिम समय में भी खुद और साथी यात्रियों की फिक्र किए बिना प्लेन को घनी आबादी वाले क्षेत्र से दूर ले गए, ताकि इससे आम जन को हानि न हो। बीचक्राफ्ट बी-200 ने राजधानी के दिल्ली एयरपोर्ट से रांची के लिए उड़ान भरी थी।

जहां वो एक प्लेन को ठीक करने जा रहे थे। इस हादसे में 9 बीएसएफ और 1 सशस्त्र सीमा बल के जवान की मौत हो गई। विमान ने सुबह करीब 9.45 बजे उड़ान भरी और 9.50 में ही विमान दुर्घटना का शिकार हो गई। सूत्रों का कहना है कि प्लेन की हालत ऐसी नही थी कि इससे ऊंचाई पर उड़ान भरी जा सके।

इमरजेंसी लैंडिंग के लिए जब प्लेन वापस आ रही थी तभी रनवे से 50 किमी की दूरी पर यह क्रैश कर गई। कहा जा रहा है कि दोनो पायलड़ों को उड़ान का काफी अनुभव था। कैप्टन भट्ट को ही 200 घंटे से अधिक इस विमान को चलाने का अनुभव था।

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