सुखोई फाइटर जेट से पहली बार दागी जाएगी ब्रह्मोस मिसाइल

नई दिल्ली. पहली बार हवा से जमीन में मार करने वाले ब्रह्मोस मिसाइल का प्रयोग दुश्मन की सीमा में घुसकर आतंकी कैंप पर सटीक निशाने साधने में किया जा सकेगा. यह परीक्षण इसी हफ्ते किया जाएगा. इसके लिए तकरीबन 40 सुखोई विमान को अपग्रेड किया जा रहा था. 3200 किमी क्रूज रेंज में यह परीक्षण एक घातक कॉम्बिनेशन है.

फाइटर जेट से मार करने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल के इस परीक्षण को 'डेडली कॉम्बिनेशन' कहा जा रहा है. हवा से जमीन पर मार करने वाले ब्रह्मोस मिसाइल का दुश्मन देश की सीमा में स्थापित आतंकी ठिकानों पर हमला बोलने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. 

इस परीक्षण के बाद ब्रह्मोस मिसाइल का प्रयोग सर्जिकल स्ट्राइक जैसे अभियानों में भी किया जा सकेगा. इससे वह दुश्मन की सीमा में अंडरग्राउंड बंकरों पर भी निशाना साध सकेगी. ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है. रूस इस प्रोजेक्ट में लॉन्चिंग टेक्नॉलजी उपलब्ध करा रहा है. भारत ने उड़ान के दौरान रूट गाइड करने की क्षमता विकसित की है.

ब्रह्मोस मिसाइल 290 किलोमीटर के दायरे में जमीन पर स्थित किसी ठिकाने पर सटीक निशाना साध सकती है. सैन्य बलों ने पहले ही इसे अपने बेड़े में शामिल कर लिया है. ब्रह्मोस मिसाइल के लिए 27,150 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए गए हैं. इसके लिए सेना, नेवी और इंडियन एयर फोर्स ने अपनी रुचि दिखाई है.

बता दें कि ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है. तेज गति से आक्रमण के मामले में दुनिया की कोई भी मिसाइल इसकी बराबरी नहीं कर सकती.ब्रह्मोस मेनुवरेबल तकनीकी से लैस है. निशाना साधने के बाद यदि लक्ष्य रास्ता बदलता है तो ये भी अपना रास्ता बदल लेती है और उसे निशाना बनाती है.

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