बोल तू तो लुटा दूं जान

दिल है तू बेजुबान ! पर तुझे हुआ क्या है ! डरता है बोलने से तो इसकी दवा क्या है ! कहता हूं बदन का खुदा तुझे , मेरे हबीब , तो बता फिर मुझे की अब खुदा क्या है ! गर तुझको है सिर्फ मुझसे हवा की उम्मीद , तो इसमें फिर तेरा मुझसे वफ़ा क्या है ! दैर , हरम , जाने पर ना मिलता खुदा तो , पूंछ लोगो से की ये आखिर मजमा क्या है ! तू चुप है गम नही मुझे तेरे चुप रहने का , तू बता जीवन जीने का फिर मुद्दा क्या है ! है तू इबादत मेरी , मै तेरा बस कदरदान हूं , तू ही बता इश्क़ की अब अदा क्या है ! सूरत ए हालात देखी हमने मुफलिसी की , लोग है इस कदर बेकबा तो बेकबा क्या है ! बोल तू तो लुटा दूं जान तुझपर हृदय , मै नही जानता की अब दुआ क्या है ! कुमार सुखनवर और तू मेरा दीवान है , तू बता ये इश्क़ का अब माजरा क्या है ! 

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