गुजरात सीएम की दौड़ में पिछड़े रुपाणी

नई दिल्ली : गुजरात की सियासी बाजी भले ही बीजेपी ने जीत ली हो, लेकिन चुनाव के समय रुपाणी का चेहरा लेकर चुनाव लड़ने वाली भाजपा के समक्ष अब नेता का चयन करना भारी पड़ रहा है , क्योंकि पिछले 22 सालों में बीजेपी पहली बार 100 सीट का आंकड़ा पार नहीं कर सक. इसीलिए सत्ता के सिंहासन पर फिर से बैठने के मामले में रुपाणी पिछड़ते जा रहे हैं.बीजेपी ऐसे मुख्यमंत्री के चेहरे की तलाश कर रही है, जो सबको साधने के साथ ही आगामी लोक सभा चुनाव के समय भी बहुमत दिला सके.

उल्लेखनीय है कि गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में बीजेपी को 99, कांग्रेस गठबंधन को 80 और 3 अन्य को मिली हैं. इस बार बीजेपी की जीत बेहद दमदार होती तो शायद रूपाणी फिर से सीएम बन सकते थे, लेकिन अब उनकी संभावना कम नज़र आ रही है.सीएम की दौड़ में कई चेहरे सामने हैं. इनमें नितिन पटेल, स्मृति ईरानी, पुरुषोत्तम रूपाला, मनसुख भाई मंडविया, आरसी फलदु और वजूभाई वाला शामिल हैं.

बता दें कि इस बार बीजेपी को जीत बड़ी मुश्किल से मिली है . ऐसे में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस बार गुजरात में किसी ऐसे व्यक्ति को बिठाएंगे जो संगठन को मजबूत करने के साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव में पिछले रिकॉर्ड को दोहरा सके .पिछली बार बीजेपी ने राज्य की सभी 26 लोकसभा सीटें जीती थीं. कांग्रेस का बढ़ता ग्राफ और बढ़ती सीटों से बीजेपी बेचैन है. ऐसे में बीजेपी को अपने इस अभेद्य दुर्ग में ऐसे चेहरे की तलाश है , जो उसकी बादशाहत को बनाए रख सके. जातीय समीकरण में सेंध लगने के बाद अब सबको साधने के लिए बीजेपी को अपने परंपरागत वोट बैंक पाटीदार और ओबीसी को एकजुट रखने वाले चेहरे को वरीयता देनी पड़ेगी.इस दृष्टि से ओबीसी से वजूभाई वाला, जबकि पाटीदार के रूप में मनसुख भाई मंडविया दो चेहरे सामने हैं.

गौरतलब है कि बीजेपी ऐसा चेहरा भी तलाशना चाहेगी जो गुजरात के शहरी और ग्रामीण दोनों के साथ-साथ सौराष्ट्र और बाकी के क्षेत्रों के बीच संतुलन बनाकर चल सके.गुजरात को बीजेपी ने हिंदुत्व की प्रयोगशाला बनाया था. इसे बचाए रखने के लिए हिंदुत्व ब्रांड वाले नुमाइंदे की तलाश भी की जा सकती है.ऐसे में संगठन ,बीजेपी-संघ समर्पित किसी नए चेहरे को पेश कर भी चौंका सकती है.

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