Birthday Special : जो सपने देखने की हिम्मत करते हैं, वो पूरी दुनिया को जीत सकते हैं

“यदि आपको अपने चुने हुए मार्ग पर विश्वास है, इस पर चलने का साहस है और मार्ग की हर कठिनाई को जीतने की शक्ति है तो आपका सफल होना निश्चित है.” ये शब्द भारत के सबसे सफलतम व्यक्ति के है. जिन्होंने देश के लिए व्यवसाय जगत में कई कीर्तिमान रच दिए और आज इस शख्स का नाम कई देशो में विख्यात हो गया. आज हम जिस शख्स के बारे में बात कर रहे है. वह व्यक्ति भारत नहीं बल्कि विश्व के किसी भी कोने में परिचय के लिए मोहताज नहीं है. हम बात कर रहे है धीरजलाल हिराचंद अम्बानी (धीरूभाई अम्बानी). धीरूभाई अम्बानी एक प्रसिद्ध भारतीय व्यवसायी थे, जिन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की. इस महान शख्स का जन्म 28 दिसंबर, 1932, को गुजरात के चोरवाड गांव में हुआ था.    धीरूभाई अम्बानी के पिता का नाम हिराचंद गोर्धनभाई अंबानी और माता का नाम जमनाबेन था. धीरूभाई के पिता एक प्राइमरी टीचर थे और वे एक बड़े घर के एक हिस्से में किराए से दैनिक जीवन यापन करते थे. धीरूभाई अम्बानी के घर पर आर्थिक तंगी की वजह से उन्हें हाईस्कूल में ही मजबूरन पढ़ाई छोड़नी पड़ गई. बहुत से लोगो का यह मानना है की अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के उद्देश्य से वह गिरनार के आसपास भजिये की दुकान भी लगाते थे जो वहां आने वाले पर्यटको पर आश्रित थी.

करियर  सन 1948 में 16 साल की उम्र में धीरूभाई अम्बानी अपने बड़े भाई रमणिकलाल की मदद से यमन के एडेन शहर पहुंच गए. ‘ए. बेस्सी और कंपनी’ में उन्होंने पूरी ईमानदारी और कड़ी मेहनत से अपना कार्य करते थे. धीरूभाई में कुछ बड़ा करने की बहुत लगन थी. उस समय उन्हें वेतन के रूप में 300 रूपये मिलते थे. करीब दो वर्ष के बाद ‘ए. बेस्सी और कंपनी’ जब ‘शेल’ नामक कंपनी के उत्पादों के वितरक बन गए तब धीरुभाई को एडेन बंदरगाह पर कम्पनी के एक फिलिंग स्टेशन में प्रबंधक की नौकरी मिली। वहीँ से धीरुभाई के मन में व्यवसाय की छोटी बड़ी चीजो और जानकारियो का ज्ञान हुआ. धीरूभाई अम्बानी ने वही से लेखा जोखा, वित्तीय विभाग का काम और शिपिंग पेपर्स तैयार करना सीखा.

धीरू भाई अम्बानी ने देशवासियो की भी बहुत मदद की और रोजगार के अवसर प्रदान किये. उसी समय आज़ादी के लिए हुए यमनी आन्दोलन ने एडेन में रह रहे भारतीय लोगो के लिए व्यापार के सारे दरवाजे बंद कर दिए, तब 1958 में धीरुभाई अम्बानी भारत वापस आ गए और मुंबई में व्यवसाय स्थापित करने के अवसर तलासने लगे. उस दौरान धीरूभाई अम्बानी इतने सक्षम नहीं थे की एक बड़ा निवेश कर सकें इसलिए उन्होंने मसालो और शक्कर का व्यापार रिलायंस कमर्शियल कारपोरेशन के नाम से शुरू किया. इस व्यापार को करने का उद्देश्य यह नहीं था की उन्हें मुनाफा हो बल्कि लोगो के पास  अधिक से अधिक उत्पादों का निर्माण और उनकी गुणवत्ता का उपयोग कर सके.

समयनुसार धीरूभाई अम्बानी ने सूत का व्यापार शुरू किया लेकिन पहले के व्यापार की तुलना में अधिक हानि की आशंका थी, लेकिन वे भी हार मानने वालो में से नहीं थे. उन्होंने इस व्यापार को एक छोटे स्तर पर शुरू किया और बहुत कम समय में अपनी काबिलियत के बल बूते धीरुभाई बॉम्बे सूत व्यापारी संगठन के संचालक बन गए. धीरू भाई अम्बानी के अंदर एक बहुत अच्छी चीज थी वह काम समय में प्रभावशाली फैसले लेते थे, जिससे वह जिस किसी भी व्यापार में हाथ डालते थे उस व्यापार को शिखर तक ले जाते थे. 

धीरू भाई अम्बानी ने 1966 में अहमदाबाद के नरोदा में भी एक टेक्सटाइल कंपनी शुरू की और वे महीनो में दो तीन बार मुंबई से अहमदाबाद कंपनी का विश्लेषण लेने आते थे और अपनी कंपनी में काम कर रहे सभी कर्मचारियों की समस्या और तकलीफो को हल करने को आश्वस्त करते थे.

जैसे जैसे समय बदलता गया और धीरे-धीरे रिलायंस टेक्सटाइल एक बड़ा नाम बनता गया, लेकिन धीरू भाई को आगे भी कई सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था. दुकानदार बडी मीलों से कपडा खरीदने को तैयार थे पर रिलायंस से नहीं. धीरू भाई भी कहा हार मानने वाले थे उन्होंने कपडा सड़को पर बेचना शुरू कर दिए. उनका इस प्रकार का प्रभावित स्वभाव से सभी लोग चौक गए, और बहुत कम समय में उनका कपडा “वीमल” बाज़ार का सबसे अधिक बिकने वाला कपडा बन गया. समयनुसार रिलायंस ने अपनी अन्य दूरसंचार, संरचना और उर्जा की शाखाओं की भी स्थापना की.

धीरुभाई अम्बानी की कुछ प्रेरक उपलब्धियां:-

* वर्तमान में रिलायंस देश ही नही बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है.  * रिलायंस भारत की पहली और एकमात्र ऐसी कंपनी थी जिसे फोर्ब्स ने वर्ल्ड की सबसे सफल 500 कंपनियों की सूची में शामिल किया था. * धीरूभाई अम्बानी कभी न हार मानने वाले स्वभाव के दम बल पर कई सम्मानीय पुरस्कार प्राप्त किये, इनमे से मैन ऑफ़ द 20 सेंचुरी, डीन मैडल और कॉर्पोरेट एक्सीलेंस का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार सबसे प्रमुख हैं.  * धीरूभाई को ए.बी.एल.एफ. (एशियन बिज़नस लीडरशिप फोरम) द्वारा भी ए बी एल एफ ग्लोबल एशियन अवार्ड प्रदान किया गया था.

धीरूभाई अम्बानी 6 जुलाई 2002 को दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन विश्व में अपनी जिंदगी की कहानी छोड़ गए जो करोड़ों लोगों को प्रेरित करती रहेगी. कहते है की 'कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती है' धीरू भाई अम्बानी के ऊपर यह लाइन बिलकुल फिट बैठती है. यदि एक छोटे से गाँव का लड़का अपने आत्मविश्वास और प्रभावशाली फैसले के दम पर करोड़ों लोगों की जिंदगी बदल सकता है तो इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं.

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