बिछड़ जाएँगे राम तय है

हर इक आग़ाज़ का अंजाम तय है... सहर कोई हो उसकी शाम तय है.. हिरन सोने का चाहेगी जो सीता... बिछड़ जाएँगे राम तय है...

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