भोपाल गैस पीड़ितों की ने केंद्र सरकार की आलोचना

भोपाल : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों ने केंद्र सरकार की विफलता को जमकर कोसा. इस भयावह हादसे में हजारो लोगों की जान चली गई थी, लेकिन आज भी उसका डरावना चेहरा लाखो लोगों की आँखो के सामने मौजूद है. विश्व पर्यावरण दिवस पर उन पीडितो ने आज भी यूनियन कार्बाइड के कारखाने के आस पास करीब 19 सालों से जमीन के अंदर हानिकारक कचरा दबा हुआ है जिसको सरकार भी आज तक हटाने में सफल नहीं हो पा रही, इसी कारण उन पीड़ितों ने सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. जमीन की तलछट में जमा यह जहरीला कचरा बहुत ही हानिकारक बीमारियो का कारण है जैसे- कैंसर, जन्मजात बीमारी, जिगर, फेफड़े और दिमाग को बहुत ज्यादा हानि पहुँचाता है. उन पीड़ितों ने यह प्रदर्शन वही पर किया जिस जगह पर वो कचरा जमीन में दबा हुआ है.

संगठनो के मुताबिक, लखनऊ में स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च ने जब अक्टूबर 2012 की रिपोर्ट में 22 बस्तियों में आने वाला पानी को प्रदूषित बताया है. और साथ ही उन्होंने बताया की जांचो के दौरान पता चला है की यह जहर 22 बस्तियों से ज्यादा आगे जा चूका है, और तब तक इसको ठीक नहीं क्या जा सकता जब तक वो जहरीला कचरा जमीन में दबा हुआ है. भोपाल गैस से पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संध की अध्यक्षा रशीदा बी ने कहा है कि यूनियन कार्बाइड कि वजह से हम लोगों के घरो के आस-पास यह जहर जमा हुआ है. गौरतलब है कि, केंद्र सरकार ने यूनियन कार्बाइड के चेयरमेन डॉ केमिकल को किसी प्रकार का नोटिस नहीं दिया है और न ही कचरा हटाने का कोई आदेश दिया.

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशन भोगी संघर्ष मोर्चा के बालकृष्ण नामदेव ने पर्यावरण मंत्री के द्वारा प्रदूषण के बढ़ने के वैज्ञानिक आकलन के संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव को ठुकराये जाने पर उसकी कड़ी आलोचना कि है। उन्होंने कहा कि इस तरह के ठोस कदम के बगैर जहर को हटाने का काम शुरू हो ही नहीं सकता. और इनके साथ भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खां ने उस जहर से पीड़ित लोगों कि समस्या को बताते हुए कहा है, 'जो निवासी पिछले 20 वर्षों से प्रदूषित भूजल पीते आ रहे हैं, उनके परिवारों में जन्मजात बीमारियो के साथ सैकड़ों बच्चे जन्म ले रहे है। जबतक इस जहरीले कचरे को बाहर निकालकर सुरक्षित जगह से ठिकाने नहीं लगाया जाता, तब तक लोगों को यह बीमार और कंजोर बतनता रहेगा.'

इन सभी बातो को ध्यान में रखते हुए भोपाल ग्रुप फॉर इनफॉर्मेशन ऐंड ऐक्शन के सतीनाथ षडंगी ने बताया, 'डॉ केमिकल के द्वारा उस जहरीले कचरे को निकलने और जहर कि सफाई करने के सम्बन्ध में एक याचिका मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय में पिछले 11 सालों से लगी हुई है।'' डॉ-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे संगठन की संस्थापक साफरीन खां का के शब्दों के अनुसार इस हादसे का सबसे दर्दनाक पहलू बताया, और इस बीमारी से हर दिन नए लोग ग्रसित हो रहे हैं, जबकि हमारे स्वास्थ्य और जीवन की रक्षा के लिए बनी सरकारी संस्थाएं चुपचाप देख रही हैं।

Related News