भगत सिंह जयंती 2018: इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से

इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से, अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूँ तो इंक़लाब लिखा जाता है।

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