बेजुबान पत्थर पे लदे है

बेजुबान पत्थर पे लदे है करोंडो के गहने मंदिरो में । उसी देहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हें हाथों को देखा है। **************************** सजे थे छप्पन भोग और मेवे मूर्ती के आगे । बाहर एक फ़कीर को भूख से तड़प के मरते देखा है ll *************************** लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार, पर बाहर एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है। **************************** वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हॉल के लिए, घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई बदलते देखा है। **************************** सुना है चढ़ा था सलीब पे कोई दुनिया का दर्द मिटाने को, आज चर्च में बेटे की मार से बिलखते माँ बाप को देखा है। **************************** जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन, आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत से लड़ते देखा है । *************************** जिसने नहीं दी माँ बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी , आज लगाते उसको भंडारे मरने के बाद देखा है ll **************************** दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था जिस बेटी को जबरन बाप ने, आज पिटते उसी शौहर के हाथों सरे बाजार देखा है । *************************** मारा गया वो पंडित बेमौत सड़क दुर्घटना में यारों , जिसे खुद को काल सर्प,तारे और हाथ की लकीरों का माहिर लिखते देखा है ************************** जिस घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों आज उसी आँगन में खिंचती दीवार को देखा है। *************************** बंद कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर, अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा। ************************* आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर, अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता। ************************ गिद्ध भी कहीं चले गए लगता है उन्होंने देख लिया कि,इंसान हमसे अच्छा नोंचता है। ************************ कुत्ते कोमा में चले गए,ये देखकर कि क्या मस्त तलवे चाटते हुए इंसान को देखा है ।

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