सुचना के अधिकार अधिनियम का उड़ाया जा रहा है मखोल

धार : अधिकारी कितने निडर होते है इस बात का प्रमाण क्षैत्र में स्थित श्री राजेन्द्रसूरी शासकीय महाविद्यालय में देखने को मिल रहा है। यहां पर सुचना के अधिकार कानुन का खुलेआम मखोल उड़ाया जा रहा है। आवेदक द्वारा संस्था में राशि जमा करने के दो हफ्ते बाद तक आवेदक को सुचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी नही दी जा रही है। रोजाना आजकल - आजकल का कहकर आवेदक को चक्कर लगवाये जा रहे है। 
मिली जानकारी के अनुसार महाविद्यालय के एक छात्र रमेश बगदीराम प्रजापत ने महाविद्यालय के संबंधीत विभीन्न बिन्दुओं पर सुचना के अधिकार कानुन के तहत दिनांक 7 मार्च 2015 को श्री राजेन्द्रसूरी शासकीय महाविद्यालय से जानकारी चाही गई थी। किन्तु ढेड़ माह बित जाने के बाद भी संस्था द्वारा आवेदक रमेश को जानकारी नही दी जा रही है। 30 दिनों में देना होती है जानकारी, श्री राजेन्द्रसूरि शासकीय महाविद्यालय सरदारपुर-राजगढ़ से आवेदक रमेश प्रजापत ने 7 मार्च 2015 को सुचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी। 
महाविद्यालय द्वारा जानकारी मांगे जाने पर आवेदक रमेष को दिनांक 31 मार्च 2015 को पत्र क्रमांक 1217 के माध्यम से पत्र देकर चाही गई जानकारी लेने हेतु 1006 रूपयें जमा करने का उल्लेखित पत्र आवेदक को दिया गया। जों आवेदक को 2 अपे्रल को प्राप्त हुआ था। आवेदक ने शासकीय छुट्टीया खत्म होने के बाद 6 अप्रेल को बकायदा पत्र के माध्यम से संस्था द्वारा चाही गई राषी जमा की थी। महाविद्यालय के द्वारा आवेदक को 9 अप्रेल को उक्त राषी की रसिद दी गई किन्तु राषी जमा करने के लगभग दो हफ्तें बाद भी अभी तक जानकारी नही दी जा रही है। संस्था द्वारा मात्र उसे आजकल आना कह कर चक्कर लगवाये जा रहे है। 
क्या है नियम:- सुचना के अधिकार के तहत आवेदक को 30 दिन के भितर आवेदक को जानकारी उपलब्ध करवाई जाना चाहीए वरना 30 दिन के बाद प्रतिदिन जुर्माने के प्रावधान है। लेकिन शासकीय महाविद्यालय के द्वारा सुचना के कानुन के अधिकार का खुला उलंघन किया जा रहा है। मेरे द्वारा विभीन्न बिन्दुओं पर श्री राजेन्द्रसूरि शासकीय महाविद्यालय सरदारपुर-राजगढ़ से जानकारी मांगी गई थी। संस्था द्वारा पत्र के माध्यम से नियमानुसार राषी जमा करने का उल्लेख किया गया था। जिस पर मेंने संस्था में राषी जमा करवाई। लेकिन राशी जमा करने के लगभग दो हफ्ते बित जाने के बाद भी मुझे जानकारी नही दी जा रही है। आजकल कहकर चक्कर लगवाये जा रहे है।

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