लोकसभा में बैंकरप्शी विधेयक पेश

नई दिल्ली : केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को लोकसभा में इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्शी विधेयक पेश किया, जिसमें इससे संबंधित मामले को निपटाने के लिए समय सीमा का प्रावधान है। साथ ही विधेयक के पारित होने से देश में दिवालिया घोषित किए जाने से संबंधित अलग-अलग कानूनों की जगह एक सर्वव्यापी कानून लागू हो जाएगा। जेटली ने शनिवार को कहा था कि संसद के शीतकालीन सत्र की शेष अवधि में सरकार संरचनागत सुधार के लिए अन्य जरूरी विधेयक पेश करेगी, भले ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को पारित करने को लेकर विपक्ष के साथ सरकार की सहमति नहीं बन पाई है।

विधेयक के जरिए कर्ज नहीं चुकाने संबंधी मामले के निपटारे में लगने वाली अवधि को घटाने संबंधी प्रावधान किए गए हैं। विधेयक में इसके लिए 180 दिनों की समय सीमा का प्रावधान है, जिसे अतिरिक्त 90 दिनों के लिए बढ़ाया जा सकता है। इस विधेयक के पारित होने से विश्व बैंक के व्यापार की सुविधा सूची में भारत की स्थिति पहले से मजबूत हो जाएगी। भारत 189 देशों की इस सूची में अभी 136वें स्थान पर है। अभी दिवालिया घोषित किए जाने को लेकर देश में अलग-अलग तरह के कानून हैं, जिसकी वजह से मामला वर्षो तक चलता रहता है और इससे संबंधित पक्षों के लिए यह काफी खर्चीला हो जाता है। देश में अभी इस तरह का मामला औसतन चार साल से अधिक समय तक चलता है।

आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने रविवार को बैंकरप्शी विधेयक को जीएसटी के बाद सबसे बड़ा सुधार बताया था। यह विधेयक एक धन विधेयक है। इसलिए इसके पारित होने में राज्यसभा की कम भूमिका होगी। इस विधेयक के प्रावधानों के तहत एक इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्शी फंड और इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्शी बोर्ड ऑफ इंडिया का गठन होगा, जो इससे जुड़े पेशेवरों, एजेंसियों और सूचना सुविधा कंपनियों की निगरानी करेगा। सरकार ने पूर्व विधि सचिव टी.के. विश्वनाथन की अध्यक्षता में एक बैंकरप्शी कानून सुधार समिति का गठन किया था। समिति को दिवालिया घोषित किए जाने से संबंधित मुद्दे पर रपट पेश करने के लिए कहा गया था। समिति ने गत महीने अपनी रपट और इसके साथ इस विधेयक का एक मसौदा पेश किया था।

इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्शी विधेयक के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं :

- विधेयक में इस विषय पर मौजूद कई कानूनों का एक में विलय कर दिया गया है।

- बड़े कर्ज से जुड़े मामलों का तेजी से निपटारा।

- दिवालिया मामले से जुड़े पेशेवरों, पेशेवर एजेंसियों और सूचना सेवा कंपनियों के पर्यवेक्षण के लिए नियामक गठित किए जाने का प्रस्ताव।

- इस मामले में दो निर्णायक संस्थानों का प्रस्ताव। एक के क्षेत्राधिकार में कंपनियां आएंगी, जबकि दूसरे के क्षेत्राधिकार में व्यक्ति विशेष को दिवालिया घोषित करने से संबंधी मुद्दा आएगा।

- कर्ज नहीं चुकाने संबंधी मामले के निपटारे में लगने वाली अवधि को घटाने संबंधी प्रावधान। विधेयक में इसके लिए 180 दिनों की समय सीमा तय की गई है, जिसे अतिरिक्त 90 दिनों के लिए बढ़ाया जा सकता है।

- कर्ज नहीं चुकाने वाले व्यक्ति से संबंधित मामले के लिए प्रक्रिया का प्रस्ताव, जिसमें कर्जदार और कर्जदाता आपसी विमर्श कर कर्ज भुगतान की सर्वसम्मत योजना पर पहुंच सके।

- निर्धारित सीमा से कम आय और संपत्ति वाले दिवालिया व्यक्ति के लिए नई शुरुआत करने की प्रक्रिया का प्रस्ताव।

- कर्ज चुकाने से संबंधित मामलों में सूचना सेवा देने वाली कंपनियों का प्रस्ताव, जो सूचीबद्ध कंपनियों और उन कंपनियों के कर्जदाताओं के बीच वित्तीय सूचनाओं के मिलान, प्रमाण और वितरण का काम करेगी।

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