बदल देती पूरे समाज को

हाँथ की लेखनी मुँह छिपाती नही राजपाट उसे कभी भी लुभाती नही . चलकर बदल देती पूरे समाज को लोगों में सिर्फ संदेश पहुँचाती नही . उसके दिल की स्याही खत्म न हो वह सिर्फ प्रशंसा गीत ही गाती नही . मानव के हाँथ में जब से पड़ गयी है सिर्फ दिल की कहानी सुनाती नही . पत्थरों पर मानव ने मनोभाव उकेरा सिर्फ कागज पर ही राह बनाती नहीं . काव्य सृजन कर दिल बहला देती है ज्ञान विज्ञान से कभी दूर हटाती नही . दिल का चिन्तन कलम में भरा रहता बिना चिन्तन उतरे कुछ बताती नही . दिल के राज आ जाते पत्र बनकर भी कलम दिल के राज को छिपाती नही . जीवन भर चलना ही तो जिन्दगी है जिंदगी को किसी मोड़ भटकाती नही . कलम पड़े सदाचारी के हाँथ में सदा गलत हाँथ में पड़ राह चल पाती नही . लेखनी से दिलों में प्रकाश करो 'प्रकाश' सही हाँथ की कलम दिल दुखाती नही

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