बड़ा बेचैन लगता था

कफ़न छूकर के वो बोले, बदन कुछ गर्म लगता है, ली इसने आखिरी हिचकी, अभी कुछ देर पहले ही..!! बड़ा बेचैन लगता था, गली के लोग कहते हैं, बड़ी नाज़ुक सी हालत थी, अभी कुछ देर पहले ही..!! खुली थोडी सी पलकें थीं,  कहा बेताब नज़रें थीं, नमीं भी कहती आँखों की, अभी कुछ देर पहले ही..!! लिखा करता था खत अक्सर, तेरा दीदार करना है, मिली थी आखिरी चिटठी, अभी कुछ देर पहले ही..!! कभी हमसे मिलो आकर, हमेशा जिद ये करता था, हुआ खामोश अब जिददी, अभी कुछ देर पहले ही..!! नहीं कोई किनारा था, सभी "वीरान" थे साहिल, डुबो दी उसने फिर कश़्ती, अभी कुछ देर पहले ही..!!

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