तो पूरा परिवार सुखमय

रावण के बुरे कर्मों के कारण उसके कुल का नाश हो गया, वह न तो खुद संभल सका न अपनी संतानों को सद्गुण दे पाया। धर्म की राह पर चलने वाले भाई विभीषण का उसने तिरस्कार किया। परिणाम स्वरूप अपने पूरे कुल का नाश करवा बैठा। आज भी कई रूपों में रावण घूम रहे हैं, लेकिन न तो खुद संभल रहे न अपनी आने वाली पीढ़ी की चिंता है।

घर का मुखिया यदि सही राह पर चले तो पूरा परिवार सुखमय जीवन जीता है इसलिए सत्य की राह पर चलो, अंत तो तुम्हारा भी होना है, तुम्हारे हाथ में है तुम्हे राम की तरह पूजना है या रावण की तरह तिरस्कृत होना।  उक्त बात साध्वी मीरा दीदी ने कही।

साध्वी मीरा दीदी का कहना है कि व्यक्ति को यदि सुख चाहिए तो उसे न केवल धर्म के रास्ते पर चलना होगा वहंी सुख समृद्धि के लिए धर्म के रास्ते पर चलने के साथ ही सच भी बोलने की जरूरत है। सत्य बोलने वाला और निष्कलंक व्यक्ति की धर्म की राह पर चल सकता है।

जो लोग धर्म की राह पर चलने के लिए सत्य बोलते है या किसी का अपमान नहीं करते है, उन्हें ईश्वर का भी साथ हमेशा मिलता है तथा उसका जीवन सुखमय हो जाता है। मीरा दीदी ने रामायण समेत अन्य कई उदाहरण भी दिए और बताया कि मनुष्य कैसे सुखमय जीवन व्यतीत कर सकता है।

मृत्यु पर विजय पाने वाला महा मृत्युंजय मंत्र

 

 

 

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