नागपंचमी पर घर के बाहर लिखें 1 नाम, 100 कोस दूर रहेंगे सांप

हिन्दू धर्म में कई मान्यताएं होती हैं जिन्हें लोग मानते भी हैं और काफी श्रद्धा भी रखते हैं. ऐसे ही आज एक और हम मान्यता के बारे में बताने जा रहे हैं जिस पर लोग काफी यकीन करते हैं. कहा जाता है इससे काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति की कुंडली से दोष दूर हो जाते हैं. आइये बताते हैं उसके बारे में कि इस नाग पंचमी पर ये उपाय करें जिससे आपका भी कल सर्प दोष मुक्त हो जाए.

नाग पंचमी पर पाएं कालसर्प दोष से मुक्ति

दरअसल, हिन्दू लोग टोने टोटके में काफी मानते हैं ऐसे ही नागपंचमी पर भी ऐसी ही कुछ मान्यताएं हैं जिसे अपनाकर लोग काल सर्प दोष से मुक्ति पाते हैं. असल में सांप को काल का स्वरुप माना जाता है. सर्पदंश होने पर आज भी ग्रामीण अंचल में झाड़-फूंक आदि सहारा लिया जाता है. इसके अलावा आपको अगर लगता है झाड़ फूंक से ये सब दूर होता है तो ये गलत है. इसके अलावा गाँव के लोग घर की दीवार के बाहर एक नाम लिखते थे जिससे उनका काल सर्प दोष मुक्त होता है. प्राचीन समय की प्रचलित परमपरा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें लोग अपने घर की दीवार में 'आस्तिक मुनि की दुहाई' नाम का एक वाकया लिखते थे और हो सकता है आपने आज भी इसे देखा हो.

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कथा :

इस वाक्य को लिखने के पीछे ऐसी मान्यता है कि घर की दीवार पर लिखने से उस घर में सर्प प्रवेश नहीं करता. पुराने समय में जब ऋषि पुत्र ऋषि पुत्र के श्राप के कारण राजा परीक्षित को तक्षक नाग ने डस लिया, तो इससे उनकी मृत्यु हो गई. जब ये राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय को पता चला तो उन्होंने इसका बदला लेने की सोची और सारे नाग को खत्म करने का प्रण ले लिया. इसके लिए उन्होंने सर्पेष्टि यज्ञ' का आयोजन किया जिसके प्रभाव के कारण संसार के कोने-कोने से नाग व सर्प स्वयं ही आकर यज्ञाग्नि में भस्म होने लगे. लेकिन उनका बचाओ आस्तिक मुनि ने किया तो उन्होंने नागों को बचाने के लिए उनसे एक वचन लिया कि जिस स्थान पर नाग उनका नाम लिखा देखेंगे, उस स्थान में वे प्रवेश नहीं करेंगे. इसी के बाद से सभी गांववाले अपने घर के बाहर 'आस्तिक मुनि की दुहाई' लिखने लगे.

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