ASI ने ताज महल या शिव मंदिर विवाद में आज दिया जवाब

आगरा : प्रेम की निशानी के रूप में पहचाने जाने वाले ताजमहल के अंदर शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका पर एएसआई ने अपना जवाब कोर्ट में आज दाखिल किया है. कोर्ट  ने कहा, ताजमहल का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा अपनी बीवी मुमताज के लिए करवाया गया था.  इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेश को आधार मान कर दीवानी कोर्ट में चल रहे मुकदमे को खारिज करने का भी आग्रह किया है.

अधिवक्ता अंजना शर्मा ने एएसआई की ओर से वाद में दिए तथ्यों का जवाब कोर्ट में प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा, कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से सात दिसंबर 2010 को पहले ही एक स्टे दिया गया है. इस स्टे के अनुसार पुरातत्व अधिनियम 1958 के आधार पर, ताजमहल को लेकर कोई भी वाद दीवानी अदालत में नहीं सुना जा सकता है. इसलिए यह वाद दीवानी न्यायालय के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है.

इस वाद के जवाब में कहा गया कि ताजमहल का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा करवाया गया था. उन्होंने अपने जवाब के साथ सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति दी है. इसके साथ ही वाद खारिज करने का आग्रह किया गया है.

ताज महल में शिव मंदिर होने के विवाद में वादी पक्ष के अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ ने भारत सरकार के पुरातत्व विभाग की ओर से प्रस्तुत इस जवाब पर अपना उत्तर दाखिल करने के लिए कोर्ट से कुछ समय माँगा है. 

इस पर कोर्ट ने गृह मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को उत्तर देने के लिए कहा. इसी पर एएसआई ने जवाब दर्ज  करवाया है. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 25 जुलाई 2015 को निश्चित की है. उधर, गाइड शमसुद्दीन की ओर से इस मामले में पक्षकार बनने के लिए पूर्व में कोर्ट में प्रस्तुत प्रार्थना पत्र की प्रति वादी पक्ष के अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ को प्रदान करने के निर्देश दिए है.

Related News