अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस: वटवृक्ष की तरह होते हैं बुजुर्ग, जिनकी छाँव में पनाह पाता है पूरा परिवार

नई दिल्ली:  बुजुर्ग हमारे घर के उस वटवृक्ष की तरह होते है, जिनकी सुखद छाँव में पूरा परिवार सुरक्षित और आनंदित महसूस करता है। इनका हमारे जीवन में होना ही, किसी खजाने से कम नहीं होता है। हमारे जीवन में इन बुजुर्गों के महत्व को रेखांकित करते हुए एक विशेष दिन मनाया जाता है। हर साल 01 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस’ (International Day for Older Persons) मनाया जाता है।  

इस दिन को कई नामों से पहचाना जाता है। कोई इसे ‘अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस’ कहते है, तो कहीं इसे ‘अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक’ के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, कोई इस दिन को ‘अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस’ या ‘विश्व प्रौढ़ दिवस’ कहता है। वैसे तो वृद्ध नागरिकों का सम्मान हमें रोज़ करना चाहिए, मगर इस संबंध में जागरूकता लाने के लिए यह विशेष दिन अपनाया गया है। जैसे प्रत्येक विशेष दिन मनाने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण होते है, उसी तरह इस दिन को मनाने का भी एक ख़ास उद्देश्य है। इस उद्देश्य के तहत, विश्व में बुजुर्गों के साथ होने वाले अन्याय और दुर्व्यवहार पर अंकुश लगाने के लिए पूरे विश्व में हर साल 01 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस’ मनाया जाता है। 

पूरे विश्व में बुजुर्गों के प्रति होने वाले अन्याय और उनके साथ दुर्व्यवहार पर अंकुश लगाने के साथ ही वृद्धों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के मकसद से 14 दिसंबर, 1990 के दिन संयुक्त राष्ट्र (UN) ने यह फैसला लिया था कि प्रति वर्ष 01 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस के तौर पर मनाया जाएगा। इससे बुजुर्गों को भी उनकी अहमियत का अहसास होगा और समाज के साथ-साथ परिवार में भी उन्हें उचित स्थान तथा सम्मान दिलवाया जा सकेगा। बता दें कि पहली बार 01 अक्टूबर, 1991 को बुजुर्ग दिवस मनाया गया था और तब से  प्रति वर्ष इसी दिन वृद्ध दिवस मनाया जाता है। 

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