भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कई महिलाओं ने अहम योगदान दिया है. इसमें विजय लक्ष्मी पंडित का नाम भी सम्मान के साथ लिया जाता है, जिन्हें लोग भारत के प्रथम पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन के रूप में अधिक जानते हैं. किन्तु ये बहुत कम लोग जानते हैं कि वे संयुक्त राष्ट्रसंघ अध्ययक्ष समेत कई देशों की राजदूत, और कई वर्षों तक महाराष्ट्र की गवर्नर तक रही थीं. वे अधिकांश एक कूटनीतिज्ञ के रूप में भी जानी गईं, जिन्होंने कई अवसरों पर भारत का अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सफलतापूर्वक प्रतिनिधित्व किया. विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त वर्ष 1900 में इलाहबाद में मोतीलाल नेहरू के घर पर हुआ था, जिससे वे पंडित जवाहर लाल नेहरू की छोटी बहन हुईं. बचपन में उनका नाम स्वरूप कुमारी था, जो उन्होंने वकील रंजीत सीताराम पंडित के साथ विवाह होने के बाद बदल दिया था. वे 20 वीं सदी की विश्व में अग्रणी महिलाओं में से एक साबित हुई थीं. विजय लक्ष्मी पंडित अपने दौर के ओजस्वी स्वतंत्रता सेनानी थी और देश की आजादी के लिए 1932-33, 1940 और 1942-43 में स्वतंत्रता आंदोलनों में जेल भी गईं थी. 1937 में वे संयुक्त प्रांतों की विधानसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुईं थी, किन्तु उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध को लेकर 1939 में हुए अग्रेजों के विरोध के चलते इस्तीफा दे दिया था. देश की आज़ादी के बाद वह साल 1955 से 1961 तक वे आयरलैंड में भारत की राजदूत रही. इस दौरान वे ब्रिटेन की भारतीय हाई कमिश्नर भी रहीं और 1958 से 1961 तक स्पेन में भारत की राजदूत रहीं. इसके साथ ही वे 1962 से 1964 तक महाराष्ट्र की गवर्नर रहीं और 1964 से 1968 तक लोकसभा सांसद भी रहीं. 1960 के अंतिम वर्षों में उन्होंने सियासत से सन्यास ले लिया था, लेकिन 1970 के दशक में उन्होंने इमरजेंसी का विरोध करने के लिए राजनीति में वापसी की और अपनी ही भतीजी इंदिरा गांधी की खिलाफत की. इसके बाद उन्हंने 1978 में संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार आयोग में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया. 01 दिसंबर 1990 में इस महान नेत्री का देहरादून में निधन हो गया था. Omicron: केंद्र पर बरसे केजरीवाल, कहा- इंटरनेशनल फ्लाइट्स बैन करने में देरी क्यों ? पूरे देश में लागू होगी NRC ? सरकार ने संसद में दिया दो टूक जवाब दोगुना होगा वर्ल्ड कप का मजा, ICC ने किया आगामी प्रोजेक्ट्स का ऐलान