आखिर किस बात के सबूत दे भारत

भारत कई बार एलओसी के पार से होने वाली घुसपैठ और आतंकियों के हमलों को झेलता रहा है। मगर हर बार भारतीय सेना डटकर दुश्मन का सामना करती है। भारतीय सेना के जांबाज रणबांकुरे अपनी जान दांव पर लगाकर 1 अरब से भी अधिक लोगों की रक्षा का जिम्मा संभाले हैं। कभी ये झेलम के उफान को पार करते हैं तो कभी यहां से मिलने वाली पाकिस्तानी बोट में सवार आतंकियों को जंगलों में तलाशते हैं और तो और सियाचिन के दुर्गम और बर्फीले क्षेत्र में भी दुश्मन को रोकने के लिए डंटे रहते हैं। परिस्थितियां भले ही कैसी भी हों ये हमेशा चट्टान की तरह दृढ़ होते हैं।

जैसे इन्होंने हिमालय से इन्होंने दृढ़ता का संदेश लिया हो लेकिन जब देश में सीमा क्षेत्र में भारतीय सेना द्वारा किए जाने वाले आॅपरेशन्स को लेकर थोथी राजनीति की जाती हो तो फिर इनका मनोबल कुछ कम हो सकता है मगर इन्हें इससे इतर ध्यान लगाना होता है अपने साथियों अपनी पोस्ट पर और 1 अरब की आबादी वाली उस जनता पर जो इन्हें सर आंखों पर बैठाती है। हालांकि इन सैनिकों और अधिकारियों का काम होता है उच्चपद पर आसीन अधिकारी के आदेश को मानना और अपनी पोस्ट पर ध्यान देना मगर देश के नेता जिस तरह से स्वयं हाईलाईट होने के लिए, वाह - वाही लूटने के लिए और वोट बैंक के लिए बेतुके बयान देते हैं उससे देशवासियों में आक्रोश गहरा जाता है।

आखिर हम किस बात के सबूत दें। हम सबूत दे चुके हैं कि पठानकोट के एयरबेस स्टेशन पर हुआ हमला पाकिस्तान की धरती से किया गया था। 9 /11 के दिन देश की आर्थिक राजधानी  मुंबई के दिल को दहलाने वाले पाकिस्तान से आए थे। भारत का मोस्ट वांटेड अंडरवल्र्ड सरगना आईएसआई के संरक्षण में पाकिस्तानी क्षेत्र में है। मगर फिर भी हमें सबूत देने हैं तो ऐसा कहने वालों को देश केवल धिक्कार ही सकता है।

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