अपनी ज़िन्दगी का अलग उसूल है

अपनी ज़िन्दगी का अलग उसूल है; प्यार की खातिर तो काँटे भी कबूल हैं; हँस के चल दूँ काँच के टुकड़ों पर; अगर तू कह दे ये मेरे बिछाये हुए फूल हैं।

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