अपनी ज़िम्मेदारियाँ हँसकर निभाओ

देशहित निज स्वार्थ से बढ़कर बनाओ, तब तो है। अपनी ज़िम्मेदारियाँ हँसकर निभाओ, तब तो है। जो भी जिसका काम है, ईमानदारी से करे;  वर्ष भर यूं जश्ने आजादी मनाओ, तब तो है। बड़ा, छोटा, जात, मजहब भूल जाओ, तब तो है। हर किसी को प्यार से अपना बनाओ, तब तो है। सिर्फ़ अपने वास्ते जीना ही आजादी नहीं; दूसरों के लिए कुछ करके दिखाओ, तब तो है। परस्पर सद्भाव का दीपक जलाओ, तब तो है। घृणा के जज़्बात सीने में दबाओ, तब तो है। जो भी हैं शिकवे गिले, अब भूल भी जाओ उन्हें; एकता के सूत्र में बँधकर दिखाओ, तब तो है। गर्व का अहसास जीवन में जगाओ, तब तो है। सैनिकों को देखकर मस्तक झुकाओ, तब तो है। आज देते हैं जो अपना, हमारे कल के लिये;  उन शहीदों के लिये आँसू बहाओ, तब तो है।

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