अपनी अनोखी दास्ताँ बयां करे

ये बादल मुझसे बातें करे, अपनी अनोखी दास्ताँ बयां करे। हर पल ये बदले अपना रूप, हवाके झोक़े मोडे इनका रुख। कभी ये मुझे घेरे, कभी दूरसे पुकारे। लगता हैं इनमे समां जाऊं,  खुदकोही भुला पाऊँ। लेकर मुझे अपनी गोदीमें, करावांये मुझे ये सैर जन्नतकी, ले जाएँ ये मुझे ऐसी जगह, जहां मैं देख पाऊँ अनदेखी तस्वीरें कुदरतकी।

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