अपने पापा की गुड़िया

दो चुटिया बांधे और फ्रॉक पहने, दरवाजे पे-खड़ी रहती थी--------- घंटो कभी अपने पापा की गुड़िया। फिर समय खिसकता गया, मै बड़ी होती गई! मेरे ब्याह को जाने लगे वे देखने लड़के, फिर ब्याह हुआ, मै विदा हुई पापा रोये नही, पर मैने उनके अंदर---------- के आँसूओ का गीलापन महसूस किया, पीछे छोड़ आई सब कुछ अपने पापा की गुड़िया। सुना था बहुत दिनो तक, पापा तकते रहे वे दरवाज़ा, शायद ये सोच---------------- कि यही खड़ी रहती थी कभी, उनके इंतज़ार में घंटो, फ्रॉक पहने दो चुटिया बांधे इस पापा की अपने गुड़िया। फिर आखिरी मर्तबा उन्हे बीमारी मे देखा, वे चल बसे! अब यादो में है------------------- कुछ फ्रॉक दो चुटिया और तन्हा खड़ी----------------- दरवाजे के उस तरफ, आँखो में आँसू लिये---------------- अपने पापा की गुड़िया।

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