अधूरा सा रह गया कलाम का एक ख्वाब

नई दिल्ली : 'सपने वो नहीं होते जो आप आँख बंद करके देखते हो, बल्कि वो होते है जो आपको सोने ही नहीं दे' इस वाक्य के साथ देश के 11वें राष्ट्रपति कलाम ने हजारों ख्वाब देखे और उन्हें साकार करके देश को प्रगति की और अग्रसर किया. लेकिन कलाम साहब का एक ख्वाब कभी पूरा नहीं हो सका. वो था अपने माता-पिता को उनके जीवन में 24 घंटे बिजली उपलब्ध करवाना. इस बात का खुलासा उन्ही की पुस्तक 'रिइगनाइटेड : साइंटिफिक पाथवेज टू ए ब्राइटर फ्यूचर' में हुआ. उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा,' मुझे बेहद अफ़सोस है कि मै अपने माता-पिता को उनके जीवन काल में 24 घंटे बिजली की सुविधा प्रदान नहीं कर पाया. लेकिन अब मै तमिलनाडु के रामेश्वरम में निवास कर रहे अपने 99 वर्षीय बड़े भाई एपीजे एम मराईकयार को इस सुविधा से लाभान्वित कर प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हुँ.बिजली की कटौती के दौरान भी उन्हें सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली मुहैया करवाई जायेगी.

कलाम की इस पुस्तक मै उनके बचपन के संघर्ष की कहानी है. कलाम ने ये पुस्तक अपने करीबी कृपाल सिंह के सहयोग से लिखी. मिसाइल मैन के नाम से पहचाने जाने वाले कलाम आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी प्रेणादायी बातें और काम हमेशा हमारे बीच रहेंगे. उनका देश के विकास मे बहुत बड़ा योगदान है.  कलाम का जीवन आज के युवाओ के लिए एक प्रेरणा है अपने सपनों को सच करने के लिए.कलाम ने अपनी पुस्तक मेँ अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि,' घर मेँ रौशनी के लिए केरोसिन कि ढिबरी 7 से 9 बजे तक जला करती थी लेकिन मेरी माँ पढ़ने के लिए मुझे अलग से एक छोटी ढिबरी देती थी जिससे मेँ 11 बजे तक जला कर पढ़ाई करता था.

कलाम को छात्रों से बेहद लगाव था और वें अपने जीवन काल मेँ हमेशा छात्रों से जुड़े रहे. कलाम आज हमारे बीच मेँ नहीं है लेकिन वो एक प्रेरणा बनकर युगो-युगो तक लोगो के बीच जीवित रहेंगे. उनके कार्यो ने देश को एक नया आयाम दिया. उनका कहना था कि कठोर परिश्रम, सतत प्रयास और निडर बन कर हम हर मुसीबत को पार कर सकते है.

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