नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने गुजरात सरकार के लंबित आतंकवाद विरोधी कानून को मंजूरी दे दी है। इसके बाद इसे लागू किए जाने का रास्ता साफ हो गया है। मामले में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध निरोधक बिल 2015 को स्वीकृति दे दी। राष्ट्रपति के सचिवालय को जानकारी भेज दी गई है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की स्वीकृति मिलने के बाद इसे पारित कर दिया जाएगा, इसके बाद यह कानून के तौर पर बदल जाएगा। गुजरात सरकार ने वर्ष 2001 में विधानसभा में इस बिल की बात की थी और इसे केंद्र के समक्ष अनुशंसा और स्वीकृति के लिए भेजा था। केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इस बिल में कुछ पहलूओं पर आपत्ती ली गई थी। मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद इसे अब कानून के तौर पर परिणित कर लिया जाएगा। राष्ट्रपति बिलों को खारिज करने या फिर उसे मंजूर करने के पूर्व विभिन्न पहलुओं पर पहले ही सफाई मांग चुके थे आगे भी संभावना जताई जा रही है कि राष्ट्रपति इस बिल को लेकर फिर से सवाल कर सकते हैं। राष्ट्रपति भवन से सूचना मिलने के बाद इस मामले में टिप्पणी की जाएगी। मगर सबसे ज़्यादा संभावना इसी बात पर हैं कि यह कानून गुजरात में लागू हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि एनडीए और भाजपा की सरकारों ने आतंकवाद को लेकर और उसे रोकने के लिए पहले भी कड़े कानून बनाए थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने पोटा कानून लागू करने की पहल की थी तो वहीं महाराष्ट्र में भी आतंक के खिलाफ कड़े कानून बनाने की बात भाजपा नेताओं द्वारा की जाती रही है।