रिश्तों को निभाने की मजबूरी पुरानी है जिंदगी तो जैसे समझौतों की कहानी है दुनिया के अंदर तो धोखे का समंदर है यहां करते हैं वफा, मिलती बदनामी है रिस्तें बनाकर कर देते है खून जमीर का उनके चेहरे पर शिकन न परेशानी है जहां अक्ल वालों की महफिल है वहां जिधर देखिए दिलवालों की नाकामी है